पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/११५

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श्राचार्य दिनाग मुनते हैं, विट्नाग की भक्ति से प्रसन्न होकर वह स्वासे मृत्यु लोक में आई और दिदनाम के सामने उपस्थित हुई। उसकी कृपा से दिट्नाग सारे शास्त्रों के असाधारण शाता हो गये। एफ चार घे नालद के विश्वविद्यालय के अधि. कारियों के द्वारा पुलाये गरे। घहों उन अधिकारियों की प्रेरणा से उन्होंने मुदुर्जय-नामक प्राण दार्शनिक पो परास्त करके घोर धर्म की विजय-पताका उड़ाई। उन्होंने चौर मी अनेक मामय तार्फिकों को हराकर अपनी कॉi- कीमुदी से लोक समाज को धलित किया। इस उपलस्म में उदै तम-गय की पदयो मिली । उरीसा और महाराष्ट्र- पशों में परिनमण फरके रिनाग में अनेक तयार मन का उन किया। महाराष्ट्र देश के जिस पिदार में गहों ये उसका नाम था सागरिधार । उहीरा मान में उन्होंने मापालिम नाम के समीती पोरम में दाशिन शिया । मिना र बुद्धिमता में विज्ञाप नधान । नीम पारमिता, शिरमिता, दीर्द पारमिता, मा रमिता आदि , पारमिता, it बामगारो पारद धमी, पापा । नानंद सिपाप में पिपर ar गरे पनि शिक्षाको परान ari Tr Friyपन IR लिया ! म मा dirtant rivariwarriedri