पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/११९

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१३३ प्राचार्य दिनाग में श्यररुपा फिर भी उनके विहार में पाये। उन्होंने इस श्लोक के नीचे दिड्नाग की प्रार्थना पढ़ी। पढ़ने में उनके हृदय में साधु भाव का संचार हो पाया। ये चुपचाप यहाँ खड़े रहे। विद्यार को लौटने पर दिदनाग उनके माय तर्क- युद्ध में प्रवृस हो गये। शर्त यह दुइ कि जो परास्त को पह यिता का धर्म प्रहण करे। पर पराम्म बागो, पर उन्होंने दिनाग का धर्म न सकार लिया। दिनाग ने जर उन्हें शर्त की याद दिला नयमोयार कर सपा ने दिटनाग के विहार में भाग लगा दी। यद जलकर भस्म हो गया। दिनाग के पास पानी-पाजीपुरमा पर जल गया। दिनाग यहुत चिंतित हुए। मदाने गोवा- "इम एक मनुष्य को मापन नाम मिला और लोगों के लिए मुहि प्राति का पायाम मांगे?" उन्होंने अपने पो पात पिmar मना- म य सिम्पने का शिकार दिया | मी मरापिरमभी उन सामगार TIENT Tv और मान- ___ "परम, गोपिनाnfirmat Ti AM निपान TATARTE: Tat गुर IRAT सारे . irmire पालनRTI Trim Ratarn iKe RRENTrinire wirrjerial महिलामा