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प्राचीन पंडित और कवि

प्राचीन पंडित और कवि अपने भ्रम का ज्ञान हो जायगा। इससे सिद्ध है कि कालिदास की उक्ति का प्रकृत संबंध दिग्गजों से ही है। दिस्नाग नाम आ जाने से श्लेप-शुक्ति से यदि उन्होंने श्राचार्य दिट्नाग पर कटाक्ष किया हो तो यह भी असभव नहीं। दिड्नाग अवश्य ही बड़े उद्धत और अतुल अवलेप- पूर्ण थे। यदि किसी प्रकार यह बात सप्रमाण सिद्ध हो आय कि मेघदूत का पूर्वोक्त पद अवश्य ही श्लिष्ट पद है तो फालिदाल के समय-संबंध में भी यह निश्चय हो जाय कि वे ५०० ईसवी के ही श्रासपाल विद्यमान थे, ईसा के ५६ वर्ष पहले, विक्रमादित्य की सभा में, न थे। अगस्त १६१५