पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/१२१

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प्राचार्य दिनाग प्रमाण-समुभर ६ परिच्छेदों में विभक्त है-- (F) प्रत्यक्ष, (0) भ्यागुमा, (३) परार्धानुमान, (४) प्रिपरेनु, (५) प्रत्यक्ष उपमान और शमपान, (६) जात्युत्तर विचार। एमफे भागे विद्याभूषण महाशप में प्रमाण-मुश्य म लिखी गई यातों का विवेचन निम्तार पं. साथ किया है। उस विवेचन को हम यो देते हैं, पयोफि पाठमों में से बहुत कम को पाद रचिकर दोगा। लेवाग्भ में टॉपटर विद्याभूषण ने पालिका की उस उनि का उल्लेख किया है जिसमें दिग्नाग , "पूलहस्त" की बात है। पद उति मंघम के चौदह बोचे परया में। यथा- "दिनागानां पधि परिदग्न गुमायापलंग" जिस पर्वत पर पर पा उमरी रपाना माना मेय मे सर पर पता शिरा र पर्यटक ऊपर में उपता या पागा नप गित पो दियो मन में यद म उस पि.काही पर कि एकाना नहीं लाया जागी मार्ग पक्ष पहा विजय पदार-मागाला Kama उता दिवाई देगा पगु ARErfmain होजागा सपने को frRAT ARE परंतु तुम भी मागे RENA