मरभूति श्रेष्ठ, परमहसानां महपागामियागिराः यथार्थनामा भगवान् यस्य माननिधिगुरु अर्थात्, दक्षिण में पमपुर नाम नगर है, जहाँ यजुर्वेद को तैत्तिरीय शाखा का अध्ययन करनेवाले, व्रतधारी, सोम- यत्रकारी, पक्तिपावन, पवाग्निक, ब्रह्मादी, काश्यपगोत्रीय उईघर बापण रहते है । उनके यहाँ वाजपेय-या करनेवाले, पुण्यशील, मट्ट गोपाल नामक महाकवि का प्रादुर्भाव हुमा। महगोपाल के गोत्र, और पवित्रकीर्ति पिता नीलकंठ तथा माता ज्ञादकणों के पुत्र, श्रीरंट-उपाधि भूषित भषमूनि का यही जन्म हुआ। परमहंसा में श्रेष्ट और महर्षियों में अगिरा के ममान जिम भयभूति )के गुरु भगवान् बाननिधि' नाम यथार्थ में पाननिधिही है। का मारांश वि शास्त्री ने, अपने माभूति-नामा नियम में समर लिाना है- "शिश कर पर नगर में रबर नामा नमोनिष्ठ प्राणगा उन्दाफेवराम गोपाबमा जन्म कुमार गोराम महनीपटनामा पुत्र मा और मीनार नपभूमि नामामाभूतिको मात्राकानाम जानुनी धा। गोद में पर विभा- पीनाम में भी पारामाने लगा।" नुमति में पाने मी अधिक मरी मनापार गए। ___ ArtTREMENT
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