लोलिंबराज भिन्न-भिन्न भापात्रों के कवियों और विद्वानों के जीवन- चरित प्रकाशित होने से अनेक लाभ हैं। ऐसे चरितों के द्वारा उन-उन कवियों और विद्वानों की अलौकिक प्रतिभा के उदाहरणों आदि से पढ़नेवालों का बहुत मनोरंजन होता है । संस्कृत कवियों के वृत्तज्ञान से तो समधिक और भी लाभ होता है। संस्कृत भाषा हमारी मातृभाषा हिंदी की जननी है और उसके परिशीलन की ओर प्रवृत्त होना इस प्रात ही के नहीं, इस सारे देश के निवासियों का परम धर्म है। सस्कृत के कवियों की कविता की आलोचना पढ़ने और उनके चरित का थोड़ा-बहुत ज्ञान होने से उस भापा की और मनुष्यों की प्रवृत्ति होना अधिक संभव है। लोलिंवराज से वैद्यक विद्या के जाननेवाले संस्कृतज्ञ, औरों की अपेक्षा अधिक परिचित है, क्योंकि लोलिबराज का प्रसिद्ध ग्रंथ वैद्यजीवन चिकित्साशास्त्र का प्रथ है। परंतु लोलिंवराज वैद्य ही नहीं, किंतु एक प्रसिद्ध कवि और रसिकये। किसी प्राचीन विद्वान् के विषय में कुछ लिसने के लिए लेसनी उठाते ही पद्दते यह प्रश्न उठता है कि वह
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