फ़ारसी-कवि हाफिज हाफिज फारसी का बहुत बड़ा कवि हो गया है । उसे फारसी के करियों का शाहशाह कहना चाहिए । गुलिस्ता और बोस्तों के लिखनेवाले शेखसादी से भी, कविता में उसकी वरावरी नहीं की जा सकती। कविता से जहाँ तक संबंध है हाफिज को फारसी का कालिदास कहना चाहिए । हाफिज़ में कवित्व शक्ति अपूर्व थी । वह स्वाभाविक कवि था। उसकी उक्तियाँ ऐसी भावगभिंत और ऐसी नैसर्गिक हे कि पढ़ते ही हृदय पर विलक्षण प्रभाव उत्पन्न करती है । प्रेम, पूल्यभाव और प्रातक सभी यथास्थान मन में प्राविभूत हुए बिना नहीं रहते। ऐसे गंभीर भाव, ऐसी हृदयद्रावक उप्कियॉ, सरल होफर भी ऐसी परिमाजित भाषा, फारसी में, हाफिज के "दीवान" में ही मिल सकती है, अन्यत्र बहुत कम । परंतु ऐसे महाकाल के जीवन का बहुत ही कम वृत्तांत जाना गया है। हाफिज का नाम मुहम्मद शम्सहीन है । हाफिज उसका तखल्लुस था । अपने दीवान में उसने इस तखल्लुस फा बहुत ही अधिक प्रयोग किया है। इसीलिए वह अपन मुख्य नाम से प्रसिद्ध नहीं, तखल्लुस से ही प्रसिद्ध है।
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