२४ प्राचीन पंडित और कवि ये दरवेश दीवाने हाफिज से अच्छी अच्छी उनियाँ सुना । कर यात्रियों को प्रसन्न करते है । जिस जगह हाफिज का समाधि है उसका नाम खाके-मुसल्ला है। हाफिज ने यद्यपि और कई छोटी-छोटी किताबें लिखी है, परतु उसका दीवान सबसे अधिक प्रसिद्ध है। वह हाफिज की कही हुई उत्तमोत्तम गज़लों का समूह है। प्रत्येक राजल में पॉच से लेकर सालह तक बैत है । प्रायः प्रत्येक अतिम वैत में हाफिज ने अपना नाम दिया है। हाफिज का ग्रजले वर्ण-क्रमानुसार रयसी गई है। इससे यह नहीं जाना जाता कि कौन गजल पहले और कौन पीछे धनी है। हाफिज़ की कविता के विषय में बहुत मत-भेद है । कोई कोई कहते हैं कि उसमें केवल पार्थिव प्रेम और लौकिक बातों का वर्णन है । परतु कोई-कोई इसके प्रतिकूल मत देते हैं। वे कहते है कि हाफिज ने जो कुछ कहा है सब अलौकिक और पार्थिव विषय में कहा है अर्थात् उसकी कविता केवल हकानी है, यह केवल ईश्वर-विषयक' है। यह मत सुफी-सप्रदाय के मुसलमानों का है । वे न की कविता को ईश्वर पर घटाते है और कहते है सका यथार्थ भोर समझने की पुजी केरल उन्हीं के । परतु जिन्होंने हाफिज़ की कविता का बहुत किया है और चिरकाल तक उसके परिशीलन उसमें पार्थिन विषय "
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