पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/४९

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फारसी करि हाफिज हाफिज़ की कीति यदुन शोन देश-देशांतरों में फैल गई। सकी मनोमोहिनी कविता का रस-पान करके लोग मत्त ने लगे। अनेक शक्तिशाली बादशाहों और अमीरों ने उसे रन्छे अच्छे पारितोषिक भेने । किमी किमी ने हाफिज़ को प्रेम से अपने यहाँ आने का श्रानादन किया। मुनते है, क्षिण में, बीजापुर के यादशाह महमदशाद यहमनी ने भी कामिन को अपने यहाँ, इस देश में, पधारने के लिए मामंत्रण के साथ जहाज भेजा था। म आमंत्रण को फिज ने म्बीकार भी कर लिया था। यहाँ तक कि. लोम्नान को गाने के लिए पद शीराज से चल भी दिया दिसामुहिक सफर में उमे कुछ कर टुमा । इमलिए कुछ प्रभाकर पा. शीपल को लौट गया । उस समय यंगाले मुमममा सरदार नेगी, मुना ६, उसे बुलाया था, रंतु उमो प्रादा-पूक इम निमत्रप होमी मम्मीनार कर दिया। यार अधिकारी रिया एन मुरमार ल ने-गुनने पर, पक भार हाफिज TRE पni रापर यहाँ जाने में उगे प्रममतामा दिनों पर गोरा मारा और frerit m mगा artanायतकपा में गोमांटन लिए मना ! फिर पापा पर लिप में मम rium मराषिता में माना और