मुखदेव मित्र (१८) शिवलाल दुरेडाडियामेरा। ३ मील । अनेक पुस्तका के कर्ता, जिनमें से नखसिख शोर पट-मतु मुरय है। इनम से कुछ कवि ठीक वैसवाड़े के नहीं। परतु उनका बैसवाड़े के रहत ही पास या । सोलहवें शतक में हुए नरहरि और हरिनाय मी हमारे यहाँ से, ४ मौत दूर, प्रसनी के रहनेवाले थे। प्राचीन ममय म म प्रात में अनंत कवि हो गये है, उन सबका टीकटीका पता लगाना अर असंभरमा है। वर्तमान काल में भी, इस भूभाग में, कई प्रसिद्ध विहान और पडित हुए। । मस्टन को अच्छे पिहान, हिंदी और मटत में यान से प्रय लियनेवाले, शिना दिमाग में एक अलेपद वा, यदुत दिनों तक, उपभोग करनयाले, और आगरे केनूगल परम पार उदयपुर में मजन कीर्ति सुधार के सपाय, पडित र पाजपेयी मी मान फरहनेवाले थे। इनका मकान तिरानामा गांव में गाया गौरमार या रोगाध दी मांस पर सपनारम-बालारमामा, माविक फोगमादि पनापाले भीर जी को पहन द्विान, पंडित माराप्रमाद मि भोगी सरकार पर पपणा में पापर गांव में गिरी । माननपुरकोणमिनिanter कारनाममा NिIT: "" लियापन पद पापोर हो नाम में पर
पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/६९
दिखावट