मुखदेव मिश्र अमेटी में हिम्मतसिंह के लिए बनाया । उसके प्रारंभ में उन्होंने हिम्मतसिंह को आशीर्वाद कहा है, यथा--- "मुम्बदेव सदाशिव मुदित मन हिम्मतसिंह नरिंद क।" ___कविराज की पदवी भी गौर से उद नहीं मिली। ये अपने फाजिल अगा-प्रकाश में लियने है- अलद्दयार-खों भुजरली सुमति सूर सिरताज। जिन्ह दियो कविराज पद यो परीय निधा॥ उसमे साफ जाहिर है कि कार की परवीको अलादयारों ने दीधी, गोट-नरेश ने नदीं। मुरादेयजी कमनाये हुप प्रयों में ग्रियर्सी धार शिनिद पदा विचार पिंगत पतलान है। पद शायद किसी दूसरे सुपदेय का बनाया हुआ होगा । घे यह भी लिखते है कि पदयजी ने अश्यामप्रकाश श्री दशराय नाम के नोदी प्रपना, परत पात में भी पीलापुर- नियामी घुडदरमध साभिाता प्रकाशित परीki मा मालिनी भी शायद किसी मरे मुरग मार पुग्ना हमारे देश में ना ! Rfrय में मनोरनी पर 1 पद नोमिनलागी, समय, गपात का निरी मातm frienीमा Materia देवरmati
पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/९१
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