पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/९५

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हीरविजय सरि जैनियों में दीरविजय सूरि नाम के एक बड़े महात्मा चार व विद्वान हो गरे है। वे अकयर यादशाह के समय में थे। देव-विमल-गगि कृत दरसोभाग्य-नामक कान्य से उनका यहुन पचहाल मालुम दोमकता है। इस काप्य म प्रकार, उसकी राज्यव्यवस्था, उसफे धार्मिक विचार धादि फेसबध मनी यहुन-सी बात है। जैन परिता पर पद विननी पर करता था, उनको प्रार्थना को यह कहां तक मानना था . भार उनको कितने शादर कौए से देरता था, इन amil का भी पनाहौरमामाग्य में लगता है। अगत्गुर शाप नाम का एक और मोमय मन में । उसले मोन गानों का शाल प्राक में पढ़ायता मिलती है। समी धमाँ और संप्रदायों के दामासों और पत्रिों में पानालाप पर सरपरसन धार्मिक प्राgitari

  • लिए मर्द नारदमा MRITAIR मारमा

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