बिहारी हिन्दी के बहुत लोक-प्रसिद्ध कवि हैं। उनकी सतसई की पढ़ाई कई परीक्षाओ में होती है । पर बिहारी की विशेषताओ का सम्यक् उद्घाटन करनेवाली हिंदी में कोई भी पुस्तक नहीं थी । इस पुस्तक से बिहारी-सम्बन्धी सभी बातो का पूर्ण ज्ञान प्राप्त होगा । मूल्य १।।।)
महाराष्ट्र प्रान्त के प्रसिद्ध महात्मा श्री ज्ञानेश्वर जी ने भक्तो को भगवद्गीता का वास्तविक मर्म समझाने के लिए शंकराचार्य के मतानुसार ‘ज्ञानेश्वरी' नामक बहुत ही विद्वत्तापूर्ण और विशद टीका लिखी है। जितनी गीता पर टीकाएँ आज तक निकली हैं उनमे यह सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। मूल्य ३।।)
इस ग्रन्थ के आरम्भ में प्राय ५० पृष्ठों में सस्कृत-नाट्यसाहित्य की उत्पत्ति, विकाश, नाटक तथा लक्षण-ग्रन्थो का सक्षिप्त इतिहास, रूपक-भेद, वस्तु, रस आदि पर एक पूरा प्रकरण दिया गया है। इसके अनन्तर भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र के पूर्व के नाटको का इतिहास देकर भारतेन्दु जी की नाट्य-रचनाओ का विवरण आलोचना सहित क्रमश तीन प्रकरणो में दिया गया है । इसके बाद भारतेन्दु-काल के अन्य नाटककारो का विवरण एक प्रकरण में देकर वर्तमानकाल के प्रमुख कवि ‘प्रसाद' जी की रचनाओ की ६० पृष्ठो में विवेचना की गई है। पुस्तक में नाटको के इतिहास सम्बन्धी समग्र ज्ञातव्य बाते दी गई हैं । मूल्य २)
इस पुस्तक में कहानियो की रचना कैसे होती है, इसका आकर्षक ढंग से, एक-एक बात का प्रेमचन्द जी तथा ‘प्रसाद' जी आदि प्रसिद्ध कहानी-लेखको की कहानियो में से उद्धरण देकर वर्णन किया गया है। जो लोग कहानी लिखना सीखना चाहते हैं उनके लिये यह पुस्तक बहुत उपयोगी है । मू० ।।।≠)