पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/२४

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पहला प्रभाव


मूल-बालवयक्रम बाल सब, रूप शाल गुण वृद्ध । यदधि भन्यो अवरोध पट पातुर परम प्रसिद्ध ॥४२॥ शब्दार्थ-बालबयक्रम = बाला, नवयुवती । अवरोध = अंतःशुर । भावार्थ-यद्यपि इन्द्रजीत का अंतःपुर (महल) रूपवती, शीलवती और बड़ी गुणवती बाला नवयुवतियों से भरा हुआ था, तथापि उनमें छः वेश्यायें बहुत प्रसिद्ध थी, जिनके नाम ये:- मूल-रायप्रवीन प्रवीन अति, नवरंगराय सुवेश । अति विचित्रनयना निपुन, लोचन ललित सुदेश ।। ४३ ।। साहति सागर राग की, तरनतरंग तरंग । रंगराय रँगलिन गति रँगमूरति अंग अंग ॥ ४४ ॥ षट पातुरों के नाम ---प्रवीनराय, २-गवर राय, ३---विचित्रन ना, तानतरंग, ५-राय, रंगमूर्ति । मूल-तंत्री तुबुरु सारिका, बुद्ध सुरन सा लीन । देव सभा सी देखिये, रायश्वीन प्रवीन ॥ ४५ ॥ संत्री = (१)सिद्धान्तविश वृहस्पति ( २ ) जि प तार लगे हैं। तुंरु-- (१) तुरू नामक गंधर्व (२) तंबा है जिसमें । सारिका = (१) इसी नाम की अप्सरा (२) धोरिया, सुंदरिया । सुर = (१) देवता (२) सालो सुर (स, रि, ग, म, प, अ, नि) प्रवीन अच्छी वीणा। भावा-रायमधीन की अति सुदर बीणा देवसमा सी है, क्योकि जैले देवसमा तंत्री (हम्पनि ) तुंबुरु (गंधर्व ) मारिका नानी अप्सरा तथा सनोमी देवताओं से संयुन्ना रहती है, वैसेही राउप्रवीन की वीणा भी तार, तूंबा, सारिका