पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४०३

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सोरहवाँ प्रभाव ३६६ भावार्थ---जैसे तुमने समस्त लोकों को रच कर (नाश करने के लिये ) काल के हाथ सिपुर्द कर दिये हैं, वैसे ही, हे नाथ मै बलि जाऊँ मेरे पाप, दुःख और मजबूत कर्मबंधन भी कार दो। नोट-इसमें कवर्ग केट क, ख, ग, घ, चवर्ग के २ च, ज, दवर्ग के ३८, ड, ढ तवर्ग के ४ त, थ, द, न. पवर्ग के ३ फ, ब, म और य, र, ल, स, ह, सब मिल कर २१ वर्ण हैं। (बीस वर्ष का) मूल-थके जगत समझाय सब निपट पुरान पुकारि । मेरे चित वे चुभि रहे मधुमर्दन मुरहारि ॥ २१ ॥ भावार्श-जगत के सब लोग समझा कर थक गये और सव पुराण भी खूब पुकार पुकार कर. ( अन्य मार्गों में जाने की शिक्षा दी) पर मेरे चित में तो मधुसूदन मुरारी ही चुभे हैं। (नोट)-इसमें कवर्ग के २ अक्षर क, ग, चर्म के ३ वर्ष, च, ज, झ, टवर्ण का १८, तवर्ग के ५ त थ द ध न, पवर्ग के ४ प, ब, भ, म और य, र, ब, स, हसब्द मिलफर बीस अक्षर हैं। (उन्नीस अक्षर का) मूल-को जाने को कहि गयो राधा सो यह बात । करी जमाखन चोरि वलि उठत बड़े परमात ॥ २२॥ भावार्थ जानै राधा से यह बात कौन कह गया कि मैं बलि जाऊ, आज बड़े प्रभात उठते ही मैंने देखा है कि कोई तुम्हारे घर से माखन चोरा ले गया है। (नोट )--कवर्ग के ३, और वर्ग के दो दो वर्ण, तवर्ग के ३, पवर्ग के ४ और य, र, ल, स, ह, सब मिलकर १९ वर्ण हैं।