पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४१७

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प्रिया-प्रकाश लते हैं कि अंतिम उत्तर में जो वाक्य है, उसके अंतिम अक्षर में श्रादि से लेकर क्रमश: एक एक अक्षर जोड़े और छोड़े। (यथा भूल-कहा न सज्जन बवै, कहा मुनि गोपी मोहित । कहा दास को नाम, कवित्त महँ कहियत को हित ॥ को प्यारो जग माहि, कहा छत लागे धावत । को बासर को करत, कहा संसारहि भावत ।। कहि कहा देखि कायर कैंपत आदि अंत को है सरन । यक उत्तर केशवदास दिय, “सवै जगत शोभा धरन"||५५ (व्याख्या )-इस छप्पय में १० प्रश्न हैं। जिनमें से अंतिम प्रश्न है 'श्रादि में तथा अंत में शरण कौन है, जिसका उत्तर है “सबै जगत शोमा धरन” । अब इस अंतिम उत्तर का अंतिम अक्षर है 'न'। इस 'न' में इसी अन्तिम वाक्य के क्रमशः एक एक अक्षर पहले जोड़ो-जैसे-सन, पैन (बांसुरी), जन, गन, तन, शोन (रक), भान, धन, रन । ये क्रमशः पहले ६ प्रश्नों के उत्तर हुए । दसवें प्रश्न का उत्तर है वाक्य "सवै जगत् शोभा धरन' अर्थात् कृष्णा जी। {विशेष ) वैन-बेशु (चित्रालंकारों में ऐसा मानना दोष नही है)। छत - (क्षत) धार । द्विजातियों के लिये मन' बोना ( जूट वा पटुवा की खेती) धर्मशास्त्रानुसार मना है। (व्यस्त समस्तोत्तर वर्णन) मुल-मिल आदि के चरण स्यों केशव करि उच्चार ! उत्तर ब्यस्त समस्त सो सांकर के अनुहार ॥ ५२