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पाँचवा प्रभाव

पाँचवाँ प्रभाव अर्थ में पीत रंग (२) शरभ नामक हिंसक जंतु-इस अर्थ में श्वेत रंग का बोधक है। भूल----सोम स्वर्ण अरु चंद, कलधौत रजत अरु हेभ । तारकूट रूपो रुचिर, पीतर कहि करि प्रेम ॥ ४४ ॥ भावार्थ-'सोम' शब्द के दो अर्थ (१) सोनासो पोला है (२) चद्रमासो सफेद है । 'कलधौत' के अर्थ (१) चाँदी- सो सपेद है, (२) सोना-सो पीत है । 'तारकूट' के अर्थ (१) चांदी सपेद । (२) पील-पीला जानो। (१)-श्वेत और लाल। मूल-स्वत बस्तु शुचि, आगिन शुचि, सूर सोम 'हरि' होय । पुष्कर तीरथ सों कहैं, पंकज से सब लोय ॥ ४५ ॥ भावार्थ-'शुचि' शब्द के दो अर्थ ( १) स्वेत वस्तु-सफेद रंग का बोधक, (२) अग्नि-इस अर्थ में लाल रंग का बोध है । "हरि' शब्द सूर्य और चंद्र दोनों का बोधक है अतः सूर्य अर्थ में लाल, चंद्र अर्थ में सफेद रंग का बोधक होगा। 'पुष्कर' शब्द के दोअर्थ ( १ ) तीर्थजल-सफेद का बोधक है (२) लालकमल-लाल रंग का बोधक है। मूल-इंस' हंस रवि वरनिये, 'अर्क' फटिक रबि मान । 'अब्ज' शंख सरसिज दोऊ, 'कमल' कमल जल जान ॥४६॥ भावार्थ-'हंस' शब्द के दो अर्थ (१) हंस पक्षी-सफेद रंग : का बोधक (२) सूर्य-लाल रंग का। 'अर्क' के दो अर्थ (१)-सूर्य-लाल रंग (२) स्कटिक-सपेत रंग का चोधक, 'अञ्ज' का अर्थ (१) कमल-लाल रंग का (२) ६