सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/१६३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
-१३४-

बद्री नारायन जू महान मुरवान कूक कल छहरान चमकान चपलान की।
डरन डरान चौक परी छतियान लागी प्रीतम सुजान सूने धुन धुरवानकी॥

२९


कूकै कोकिलान हिये हूके अबलान,
कुंज सरिता तटान सोर सुन मुखान की।
दादुर रटान ललचान चातकान,
पुरवाई सनकान चमकान चपलान की॥
बद्रीनाथ दल बगुलान अनुमान मैन सैन।
के समान सों छटान छहरान की।
ऊपर अटान घहरान धुरवान,
धुनि घुमडि घुमडि घन घेरन घटान की॥

३०


सावन समान कर आयो री महान
मैन सैन के समान अवली पे वगुलान की।
छाजत छटान छहरान चमकान,
चपला न है कृपान कोऊ वीर वलवान की॥
टूक टूक करत करेजा कूक मुरवान,
पाई ना खबर बद्रीनारायणं सुजान की।
तन थहरान हहरान हिय लागो सुन
धुन धुरवान घोर घुमड़ी घटान की॥

३१


चंचला चोखी कृपान बनी अवली बगुलान की सैन रही जुर।
सारंग सारंग है सुरनायक, जै धुनि दादुर मोरन को सुर॥
बद्रीनारायन जू विरहीन पै व्याज लिये वर्षा अति आतुर।
आवत धावत बीरता वारि भरे बदरा ये अनङ्ग बहादुर॥