पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/२१७

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or होली की नकल या मोहर्रम की शकल जब से लागल इ टिकस हाय उड़ा होस मोरा। रोवै के चाही हँसी ठीठी ठठाना कैसा॥ इन्कम् टैक्स रोओ ! सब मुँह बाय बाय । हय हय टिक्कस हाय ।। रोज कचहरी धाय धाय। अमलन के ढिग जाय जाय ॥ रोओ सब मुंह बाय बाय । हय हय टिक्कस हाय हाय ॥ रोकड़ जाकड़ ल्याय ल्याय। लेखा वही मिलाय आय॥ घर घाटा दिखलाय हाय । उजुर माजरा गाय गाय ॥ घुड़की उत्तर पाय पाय ।खिसियाने घर आय आय ॥ । है है टिक्कस- आमला सब हरखाय हाय । दूना टिकस बताय हाय॥ स्वान सरिस मुंह बाय बाय । घूस भली विधि खाय हाय ॥ पीछे धता बताय हाय । टिक्कस ले धरि धाय धाय ।। रोओ सब- रोओ सब- । हय हय टिक्कस- 11 कैसे केव बचि जाय हाय । तसिलदार ढिग आय हाय ॥ सौ सौगन्धं खाय हाय । निर्धनता दिखलाय हाय । धक्का मुक्की खाय हाय । हवालात भरि जाय हाय ।। । हय हय- भूख लगे बिलखाय हाय । प्यास लगे चिल्लाय हाय ॥ साँसत सहस सहाय हाय । लाखन दुःख दिखाय हाय ॥ वे इज्जती कराय हाय । लहना लेय चुकाय हाय ॥ रोओ सब- 11 १. इन्कम्-टैक्स के लगने पर लिखित