पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/२१८

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- 11 रोओ सब- ॥ रोओ सब- रोओ सब- रोओ सब- । हय हय- पास कलक्टर जाय हाय । अरजी भी लिखवाय हाय॥ मुखतारन सिर नाय हाय । हाथ भले गरमाय हाय ॥ अमला लोग मिलाय हाय । पीछे पीछे धाय हाय॥ । हय हय- हिन्ती विन्ती गाय हाय । कागद पत्र देखाय हाय ॥ घर को भरम गँवाय हाय । औरो द्रव्य ठगाय हाय ॥ दस दिन समय नसाय हाय । गरज न कुछ सुनि जाय हाय॥ । हय हय- 11 व्यापारी बिलखाय हाय। नफ़ा नहीं दिखलाय हाय ॥ व्याजी नहीं समाय हाय । मूरौ से कुछ जाय हाय । घटी घटी ही पाय हाय । कर मीजै पछिताय हाय ॥ । हय हय- रकम दे वाले जाय हाय । सो नहिं मोजरे पाय हाय ॥ हरख न कैसे जाय हाय । तापर टिकस सुनाय हाय । रुपिया. लेये गिनाय हाय। दया न कहूँ लखाँय हाय ॥ रोवै. सब मुंह बाय बाय । हय हय- दास वृत्ति करि खाय हाय। द्रव्य काज सिर नाय हाय ॥ वा जूती चटकाय हाय । करै दलाली धाय हाय ॥ जो मिहनत कर खाय हाय । सब टिक्कस दै जाय हाय ॥ । हय हय- पाँच सौ तलक जाकी आय। कोऊ भाँति द्रव्य कमाय॥ चाहे आधे पेटे खाय। लड़का बिन ब्याहे रह जाय॥ करज होय वा घर विनसाय । पर तो भी टिक्कस देइ जाय ॥ । हय हय- लूटि विलायत भारत खाय । माल ताल बहु विधि फैलाय ॥ ताको मासूली छुटि जाय । जामै लागै लाभ दिखाय॥ देसी मालन इहाँ बिचाय । घाटा भारत के सिर जाय ॥ ॥ . रोओ सब- ॥ रोओ सब-