पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/२२०

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१८८ सीमा करि मजबूत बनाय । टेवत मोछ हँसत हरखाय ॥ तुम सब कहत रोय मुँह बाय । हय हय-- प्रजा मेमना सी चिल्लाय । बनै रोय नहिं आवै गाय॥ अक्की बक्की गई भुलाय । इनकी ईश्वर करो सहाय ।। महरानी उर दया बसाय । इन्हें न सूझै और उपाय ॥ कहि रोवें मुँह बाय बाय । हय हय टिक्कस हाय हाय ॥ -LC