सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/२२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

प्रेम पीयूष वर्षा इसके अन्तर्गत रीतिकालीन काव्य-परम्परा के अन्तर्गत कवि ने अपने उमंगों को चित्रित किया है। काव्य सुषुमा, अनुप्रास की छटा, भावों को कोमलता इस खण्ड की विशेषताएं हैं। --सं० १९४७