२५१ बारे। कारे काम, राम, जलधर जल बरसन वारे। कारे लागत ताही सन कारन को प्यारे॥ तासों कारे है तुम लागत औरहु प्यारे। यात नीको है तुम कारे जाहु पुकारे॥ यह असीस देत तुम कहँ मिल हम सब कारे। सफल होहिं मन के सबही संकल्प तुमारे॥ वे कारे घन से कारे जसुदा के कारे मुनिजन के मन में नित विहरन हारे॥ मङ्गल करैं सदा भारत को सहित तुमारे। सकल अमङ्गल मेटि रहैं आनन्द विस्तारे॥ कारे गोरन की महरानी को सुख साजै। गोरन के मन कारन के हित काज बिराजै॥ सत्य करै जगदीस सबै आसीस हमारी। राजसभा मैं देहिं सदा जय तुमहिं मुरारी॥ प्यारे अरे कारे तुही उज्ज्वल किये है मुख, गोरन मैं करि प्रभुताई है। कबहूँ न कोऊ जाहि सोच्यो हुतो, होनहार ताहि लरि करि विजय ध्वजा फहराई है। वदरी नरायन नरायन सों, नवरोज़ नवरोज़ छबि भारत लखाई है भारत निवासी कहैं भारत निवासिन कों, दादाभाई साँचहूँ तू भयो दादाभाई है। धन्यवाद के सहित यह कवित्त को उपहार। बदरी नारायन समर्पित कीजै स्वीकार॥ कारन को दया
पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/२८१
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