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पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/२८५

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हास्य बिन्दु भजन एक समय सूसा* के मन्दिर नोकराज* महराज सिधारे। शेक हेड के तुरत सूस जी इजी चेर पर लै बैठारे ।। आइस मिश्रित सोडा वाटर भरि टमलर दै चुरुट निकारे। सुलगायो घसि मैच बिहसि कहि इक प्याली टीपीअहु प्यारे॥ ब्रेक फ़ास्ट पुनि टिफ़िन खाय अरु डिनर चाभि श्रम सकल बिसारे। आज भये कृत कृत्य देखि प्रभु तुमहिं भाग निज गुनि बहु भारे॥ खेमटा कहनवा मानो हो मियां टट्टू । गेंदा खेलो फिरहिरी नचावहु हाथ से छुओ न लटू ॥ याद आती है हमें आज शक्ल बावन' की। रूत जो वदली घिरी आती है घटा सावन की। कहाता था जमाने में जो, एक दिन हूर' का बच्चा। वही क्या बन गया अब देखिए लंगूर का बच्चा।। अजव कुदरत खुदा के शान की। हुई है जानकी॥ जान की दुश्मन

  • . ये प्रेमघन जी के भतीजे हैं, जिनको वे उन नामों से पुकारा करते थे।

इनका नाम है गंगेश्वरप्रसाद, आप बी० ए० एल०एल० बी० हैं। १. बावनाचार्य जिनके विषय में शुक्ल जी ने परिचय में किया है। २. मिस गुलेनार-जो एक खत्री के लड़के को कहा जाता था। ३. भारतेन्दु की एक कृपापात्रा वेश्या।