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प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ
जब दढ़ियल हारकर चला गया, तो मोती अकड़ता हुआ लौटा।
हीरा ने कहा-मै डर रहा था कि कहीं तुम गुस्से में आकर मार न बैठो।
'अगर वह मुझे पकड़ता, तो मैं बे-मारे न छोड़ता।'
'अब न आयेगा।'
'आयेगा तो दूर ही से खबर लूँगा। देखू कैसे ले जाता है!'
'जो गोली मरवा दे?'
'मर जाऊँगा; पर उसके काम तो न आऊँगा।'
'हमारी जान को कोई जान ही नहीं समझता।'
'इसी लिए कि हम इतने सीधे होते हैं।'
जरा देर में नौदों में खली, भूसा, चोकर, दाना भर दिया गया और दोनों मित्र खाने लगे। झूरी खड़ी दोनों को सहला रहा था और बीसों लड़के तमाशा देख रहे थे। सारे गाँव में उछाह-सा मालूम होता था।
उसी समय मालकिन ने आकर दोनों के माथे चूम लिये।