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कर्मभूमि:429
 

सलोनी ने हाथ चमकाकर कहा-खेत क्यों छोड़ें? बाप-दाद की निसानी है। उसे नहीं छोड़ सकते। खेत पर परान दे दूंगी। एक था, तब दो हुए, तब चोर हुए, अब क्या धरती सोना उगलेगी।

अलगू कोरी बिज्जू-सी आंखें निकालकर बोला-भैया, मैं तो बेलाग कहता हूं, महन्त के पास चलने से कुछ न हो। राजा ठाकुर हैं। कहीं क्रोध आ गया, तो पिटवाने लगेंगे। हाकिम के पास चलना चाहिए। गोरों में फिर भी दया है।

आत्मानन्द ने सभी का विरोध किया- मैं कहता हूं, किसी के पास जाने से कुछ नहीं होगा। तुम्हारी थाली की रोटी तुमसे कहे कि मुझे न खाओ, तो तुम मानोगे? चारों तरफ से आवाजें आईं-कभी नहीं मान सकते।

"तो तुम जिनकी थाली की रोटियां हो वह कैसे मान सकते हैं।"

बहुत-सी आवाजों ने समर्थन किया-कभी नहीं मान सकते हैं।

"महन्तजी को उत्सव मनाने को रुपये चाहिए। हाकिमों को बड़ी-बड़ी तलब चाहिए। उनको तलब में कमी नहीं हो सकती। वे अपनी शान नहीं छोड़ सकते। तुम मरो या जियो उनकी बला से। वह तुम्हें क्यों छोड़ने लगे?"

बहुत-सी आवाजों ने हामी भरी-कभी नहीं छोड़ सकते।

अमरकान स्वामीजी के पीछे बैठा हुआ था। स्वामीजी का यह रुख देखकर घबराया, लेकिन सभापति को कैसे रोके? यह तो वह जानता था, यह गर्म मिजाज का आदमी है, लेकिन इतनी जल्दी इतना गर्म हो जाएगा, इसकी उसे आशा न थी। आखिर यह महाशय चाहते क्या हैं?

आत्मानन्द गरेजकर बोले- तो अब तुम्हारे लिए कौन-सा मार्ग है? अगर मुझसे पूछते हो, और तुम लोग आज प्रण करो कि उसे मानोगे, तो मैं बता सकता हूं, नहीं तुम्हारी इच्छा। बहुत-सी आवाजें आईं-जरूर बतलाइए स्वामीजी, बतलाइए।

जनता चारों ओर से खिसककर और समीप आ गई। स्वामीजी उनके हृदय को स्पर्श कर रहे हैं, यह उनके चेहरों से झलक रहा था। जन-रुचि सदैव उग्र की ओर होती है। आत्मानन्द बोले-तो आओ, आज हम सब महन्तजी का मकान और ठाकुरद्वारा घेर लें और जब तक वह लगान बिल्कुल ने छोड़ दें, कोई उत्सव न होने दें।

बहुत-सी आवाजें आईं-हम लोग तैयार हैं।

"खूब समझ लो कि वहां तुम पान-फूल से पूजे न जाओगे।"

"कुछ परवाह नहीं मर तो रहे हैं, सिसक-सिसककर क्यों मरें ।"

"तो इसी वक्त चलें। हम दिखा दें कि ।"

सहसा अमर ने खड़े होकर प्रदीप्त नेत्रों से कहा-ठहरो !

समूह में सन्नाटा छा गया। जो जहां था, वहीं खड़ा रह गया।

अमर ने छाती ठोंककर कहा--जिस रास्ते पर तम जी रहे हो, वह उद्धार का रास्ता नहीं है-सर्वनाश का रास्ता है। तुम्हारा बैल अगर बीमार पड़ जाए जो तुम उसे जोतोगे?

किसी तरफ से कोई आवाज ने आई।

"तुम पहले उसकी दवा करोगे, और जब तक वह अच्छा न हो जाएगा, उसे न जोतोगे, क्योंकि तुम बैल को मारना नहीं चाहते । उसके मरने से तुम्हारे खेत परती पड़ जाएंगे।"