पृष्ठ:प्रेमचंद रचनावली ५.pdf/४३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
कर्मभूमि:439
 

करता फिरता है।"

इतना बड़ा अफसर अमर से इतनी बेतकल्लुफी से बातें कर रहा था, फिर उसे क्यों न नशा हो जाता? सचमुच आत्मानन्द आग लग रहा है। अगर वह गिरफ्तार हो जाए, तो इलाके में शांति हो जाए। स्वामी साहसी है, यथार्थ वक्ता है, देश का सच्चा सेवक है, लेकिन इस वक्त उसको गिरफ्तार हो जाना ही अच्छा है।

उसने कुछ इस भाव से जवाब दिया कि उसके मनोभाव प्रकट न हो, पर स्वामी पर वार चल जाय — मुझे तो उनसे कोई शिकायत नहीं है, उन्हें अख्तियार है, मुझे जितना चाहें बदनाम करें।

गजनवी ने सलीम से कहा — तुम नोट कर लो मि· सलीम। कल इस हलके के थानेदार को लिख दो, इस स्वामी की खबर ले। बस, अब सरकारी काम खत्म। मैंने सुना है मि० अमर कि आप औरतों को वश में करने का कोई मंत्र जानते हैं।

अमर ने सलीम की गरदन पकड़कर कहा — तुमने मुझे बदनाम किया होगा।

सलीम बोला—तुम्हें तुम्हारी हरकतें बदनाम कर रही हैं, मैं क्यों करने लगा?

गजनवी ने बांकपन के साथ कहा—तुम्हारी बीबी गजब की दिलेर औरत है, भई। आजकल म्युनिसिपैलिटी से उनकी जोर—आजमाई है और मुझे यकीन हैं, बोर्ड को झुकना पड़ेगा। अगर भाई, मेरी बीवी ऐसी होती, तो मैं फकीर हो जाता। वल्लाह।

अमर ने हंसकर कहा—क्यों आपको तो और खुश होना चाहिए था।

गजनवी—जी हां! वह तो जनाब का दिन ही जानता होगा।

सलीम—उन्हीं के खौफ से तो यह भागे हुए हैं।

गजनवी—यहां कोई जलसा करके उन्हें बुलाना चाहिए।

सलीम—क्यों बैठे-बिठाए जहमत मोल लीजिएगा। वह आई और शहर में आग लगी, हमें बंगलों से निकलना पड़ा।

गजनवी—अजी, यह तो एक दिन होना ही है। वह अमीरों की हुकूमत अब थोड़े दिनों की मेहमान है। इस मुल्क में अंग्रेजों का राज है, इसलिए हममें जो अमीर है और जो कुदरती तौर पर अमीरों की तरफ खड़े होते हैं, वह भी गरीबों की तरफ खड़े होने में खुश हैं, क्योंकि गरीबों के साथ उन्हें कम-से-कम इज्जत तो मिलेगी, उधर तो यह डौल भी नहीं है। मैं अपने को इसी जहमत में समझता हूं।

तीनों मित्रों में बड़ी रात तक बेतकल्लुफी में बाते होती रहीं। सलीम ने अमर की पहले ही खूब तारीफ कर दी थी। इसलिए उसकी गंवारू सूरत होने पर भी गजनवी बराबरी के भाव में मिला। सलीम के लिए हुकूमत नई चीज थी। अपने नए जूते की तरह उस कीचड़ और पानी से बचाता था। गजनवी हुकूमत का आदी हो चुका था और जानता था कि पांव नए जूते में कहीं ज्यादा कीमती चीज है। रमणी चर्चा उसके कौतूहल, आनंद और मनोरंजन का मुख्य विषय थी। क्यारों की रसिकता बहुत धीरे-धीरे सूखने वाली वस्तु है। उनकी अतृप्त लालसा प्राय: रसिकता के रूप में प्रकट होती है।

अमर ने गजनवी से पूछा—आपने शादी क्यों नहीं की? मेरे एक मित्र प्रोफेसर डॉक्टर शान्तिकुमार हैं, वह भी शादी नहीं करते। आप लोग औरतों से डरते होंगे।

गजनवी ने कुछ याद करके कहा—शान्तिकुमार वही तो हैं, खूबसूरत से, गोरे-चिट्टे, गठे