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गबन : 63
 


भाग्य सराहते होंगे।

जालपा ने मुस्कराकर कहा-भाग्य-वाग्य तो कुछ नहीं सराहते, घुड़कियां जमाया करते

रतन–सच। मुझे तो विश्वास नहीं आता। लो, वह भी तो आ गए। पूछना, ऐसा दूसरा कंगन बनवा देंगे।

जालपा-(रमा से) क्यों चरनदास से कहा जाए तो ऐसा कंगन कितने दिन में बना देगा । रतन ऐसा ही कंगन बनवाना चाहती हैं।

रमा ने तत्परता से कहा- हां, बना क्यों नहीं सकता। इससे बहुत अच्छे बना सकता है।

रतन-इस जोड़े के क्या लिए थे?

जालपा-आठ सौ के थे।

रतन-कोई हरज नहीं, मगर बिल्कुल ऐसा ही हो, इसी नमूने का।

रमा-हां-हां, बनवा दूंगा।


रतन-मगर भाई, अभी मेरे पास रुपये नहीं हैं।

रुपये के मामले में पुरुष महिलाओं के सामने कुछ नहीं कह सकता। क्या वह कह सकता है, इस वक्त मेरे पास रुपये नहीं हैं। वह मर जाएगा, पर यह उज्र न करेगा। वह कर्ज लेगा, दूसरीं शामद करेगा; पर स्त्री के सामने अपनी मजबूरी न दिखाएगा। रुपये की चर्चा को ही वह तुच्छ समझता है। जालपा पति की आर्थिक दशा अच्छी तरह जानती थी। पर यदि रमा ने इस समय कोई बहाना कर दिया होता, तो उसे बहुत बुरा मालूम होता। वह मन में डर रही थी कि कहीं यह महाशय यह न कह बैठें, सर्राफ से पूछकर कहूंगा। उसका दिल धड़क रहा था, जब रमा ने वीरता के साथ कहा-हां-हां, रुपये की कोई बात नहीं, जब चाहे दे दीजिएगा, तो वह खुश हो गई।

रतन-तो कब तक आशा करूं?

रमानाथ-मैं आज हो सर्राफ से कह दूंगा, तब भी पंद्रह दिन तो लग हो जाएंगे।

जालपा-अब की रविवार को मेरे ही घर चाय पीजिएगा।

रतन ने निमंत्रण सहर्ष स्वीकार किया और दोनों आदमी विदा हुए।

घर पहुंचे, तो शाम हो गई थी। रमेश बाबू बैठे हुए थे। जालपा तो तांगे से उतरकर अंदर चली गई, रमा रमेश बाबू के पास जाकर बोला—क्या आपको आए देर हुई?

रमेश–नहीं, अभी तो चला आ रहा हूं। क्या वकील साहब के यहां गए थे?

रमा–जी हां, तीन रुपये की चपत पड़ गई।

रमेश-कोई हरज नहीं, यह रुपये वसूल हो जाएंगे। बड़े आदमियों से राह-रस्म हो जाय तो बुरा नहीं है, बड़े-बड़े काम निकलते हैं। एक दिन उन लोगों को भी तो बुलाओ।

रमा-अबकी इतवार को चाय की दावत दे आया हूं।

रमेश-कहो तो मैं भी आ जाऊं। जानते हो न वकील साहब के एक भाई इंजीनियर हैं। मेरे एक साले बहुत दिनों से बेकार बैठे हैं। अगर वकील साहब उसकी सिफारिश कर दें, तो गरीब को जगह मिल जाय। तुम जरा मेरा इंट्रोडक्शन करा देना, बाकी और सब मैं कर दूंगा। पार्टी का इंतजाम ईश्वर ने चाहा, तो ऐसा होगा कि मेमसाहब खुश हो जाएंगी। चाय के सेट, शीशे के रंगीन गुलदान और फानूस मैं ला दूंगा! कुर्सियां, मेजें, फर्श सब मेरे ऊपर छोड़ दो। न