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सहज ही मार गिराया। तब तो सब ग्वाल बालों ने प्रसन्न हो निधड़क फल तोड़ मनमानती झोलियाँ भर लीं, और गाये घेर लाय श्रीकृष्ण बलदेवजी से कहा―महाराज, बड़ी बेर से आये हैं अब घर को चलिये। इतना बचन सुनतेही दोनो भाई गाये लिये ग्वाल बालो समेत हँसते खेलते साँझ को घर आये, और जो फ्ल लाये थे सो सारे बृंदावन में बँटवाए। सबको बिदा दे आप सोये, फिर भोर के तड़के उठते ही श्रीकृष्ण ग्वाल बालो को बुलाय कलेऊ कर गाये ले बन को गये और गौ चराते चराते कालीदह जा पहुँचे। वहाँ ग्वालो ने गायों को जमुना में पानी पिलाया औ आप भी पिया, जो जल पी ऊपर उठे तो गायो समेत मारे विष के सब लोट गये। तब श्रीकृष्णजी ने अमृत की दृष्टि से देख सबको जिवाया।
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