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प्रेमाश्रम

आने का अख्तियार है। और याद रखो कि अगर तुम फिर गोरखपुर गये या गायत्री से कोई सम्बन्ध रखा तो तुम्हारे हक में बुरा होगा। मेरे दूत परछाही की भाँति तुम्हारे साथ लगे रहेंगे। तुमने इस चेतावनी को जरा भी उल्लघन किया तो जीते न बचोगे। हाय! शरीर फेंका जाता है। पापी, दुष्ट, अभी गया नही शेरखाँ कोई है?...मेरी पिस्तौल लाओ, (चिल्लाकर) मेरी पिस्तौल लाओ.. क्या सब मर गये।

ज्ञानशंकर तुरन्त उठ कर यहां से भागे। अपने कमरे में आ कर द्वार बन्द कर लिया। जल्दी से कपड़े पहने, मोटर साइकिल निकलवायी और सीधे रेलवे स्टेशन की और चले। विद्या से मिलने का भी अवसर न मिला।



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सन्ध्या का समय था। बनारस के सैशन जज के इजलास मे हजारो आदमी जमा थे। लखनपुर के मामले से जनता को अब एक विशेष अनुराग हो गया था। मनोहर की आत्महत्या ने उसकी चर्चा सारे शहर में फैला दी थी। प्रत्येक पेशी के दिन नगर की जनता अदालत में आ जाती थी। जनता को अभियुक्तो की निर्दोषता को पूरा विश्वास हो गया था। मनोहर के आत्मघात की विविध प्रकार से भीमासा की जाती थी और सभी का तत्त्वं यहीं निकलता था कि वही कातिल था, और लोग तो केवल अदालत के कारण फंसा दिये गये है डाक्टर प्रियनाथ और इझन अली की स्वार्थपरता पर खुली-खुली चोटें की जाती थी। प्रेमशंकर की निष्काम सेवा की सभी सराहना किया करते थे। इस मुकदमे ने उन्हें बहुजनप्रिय बना दिया था।

आज फैसला सुनाया जानेवाला था, इसलिए जमाव भी और दिनो से अधिक था। लखनपुर के लोग तो आये ही थे, आस-पास के देहातो से लोग बड़ी संख्या में आ पहुँचे थे। ठीक चार बजे जज ने तजवीज सुनायी----बिसेसर साह रिहा हो गये, बलराज और कादिरखाँ को कालापानी हुआ, शेष अभियुक्तों को सात-सात वर्ष का सपरिश्रम कारावास दिया गया। बलराज ने बिसेसर को सरोप नेत्रों से देखा जो कह रहे थे कि अगर क्षण भर के लिए भी छूट जाऊँ तो खून पी लें। कादिर खाँ बहुत दुखी थे और उदास थे। यह तजवीज सुनी तो आंसू की कई बूँदे मोछो पर गिर पड़ी। जीवन का अन्त ही हो गया। कब से पैर लटकाये बैठे, सजा मिली कालेपानी की! चारों ओर कुहराम मच गया। दर्शकगण अभियुक्तों की ओर लपके, पर रक्षकों ने किसी को उनसे कुछ कहने-सुनने की आज्ञा न दी। मोटर तैयार खड़ी थी। सातों आदमी उसमे बिठाये गये, खिड़कियाँ बन्द कर दी गयी और मोटर जेल की तरफ चली।

प्रेमशंकर चिन्ता और शोक की मूर्ति बने एक वृक्ष के नीचे खडे सुकरुण नेत्रों से मोटर की और ताक रहे थे, जैसे गाँव की स्त्रियाँ सीवान पर खड़ी सजल नेत्रों से ससुराल जानेवाली लड़की की पालकी को देखती है। मोटर दूर निकल गयी तो दर्शको ने उन्हें घेर लिया और तरह-तरह के प्रश्न करने लगे। प्रेमशंकर उनकी और मर्माहत