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प्रेमाश्रम

लगता कि ये लोग उसे रोक न ले। वह किसी तरह उनसे पीछा छुड़ाना चाहते थे, पर इसका कोई उपाय न सूझना था। हजारों झल्लाये हुए आदमियों को काबू में लाना कठिन था। सोचते थे, अब की तो मेरी धमकी ने काम किया, कौन कह सकता है। कि दूसरी बार भी वह उपयुक्त होगी। कहीं पुलिस आ गयीं तो अनर्थ ही हो जायगा। अवश्य दो-चार आदमियों की जान पर आ बनेगी। वह इन्हीं चिन्ता में डुबे हुए आगे बढ़े। रास्ते में ही डाक्टर प्रियनाथ का बँगला था। वह इस वक्त बरामदे में टहल रहे थे। टेनिस का रैकेट हाथ में था। शायद गाड़ी की राह देख रहे थे। यह भीड़-भाड़ देखी तो अपने फाटक पर आ कर खड़े हो गये।

सहसा किसी ने कहा—जरा इनकी भी खबर लेते चलो। सच पूछिए तो इन्ही महाशय ने बेचारो की गर्दन काटी है।

कई आदमियो ने इसका अनुमोदन किया--- ही, पकड़ लो जाने न पाये।

जब तक प्रेमशंकर डाक्टर साहब के पास पहुँचे-पहुँचे तब तक सैकड़ो आदमियो ने उन्हें घेर लिया। उसी वलिष्ठ युवक ने आगे बढ़कर डाक्टर साहब के हाथ से रैकेट छीन लिया और कहा---बताइए साहब, लखनपुर के मामले में कितनी रिश्वत खायी है।

कई आदमियों ने कहा- बोलते क्यों नहीं, कितने रुपये उड़ाये थे?

डाक्टर महोदय ने चिल्ला-चिल्ला कर नौकरों को पुकारना शुरू किया किन्तु नौकरी ने आना उचित न समझा।

एक आदमी बोला- यह बिना समझावन-बुझायन के न बतायेंगे।

प्रियनाथ-मैं सबको जेल भेजवा दूंगा, रैसकल्स!

डाक्टर साहब ने भय दिखला कर काम निकालना चाहा, पर यह न समझे कि साधारणत जो लोग आँख के इशारे पर कांप उठतें हैं वे विद्रोह के समय गोलियो की भी परवाह नहीं करते। उनके मुंह से इतना निकला था कि लोगों के तेवर बदल गये। शोर मचा, जाने न पाये, मार कर गिरा दो, देखा जायगा।

इतने में प्रेमशंकर डाक्टर साहब के पास जा कर खड़े हो गये। सैकडो लाठियाँ, छतरिय और छुडियाँ उठ चुकी थी। प्रेमशंकर को सम्मुख देख कर सब की सब हवा में रह गयी, केवल एक लाठी न रुक सकी, वह प्रेमशंकर के कन्धे मे जोर से लगी।

उसी बलिप्ठ युवक ने डाक्टर साहब को धिक्कार कर कहा, उनके पीछे क्या चोरों की तरह छिपे खड़े हो! सामने आ जाओ तो मजा चखा दें। खूब रिश्वतें ले-ले कर खफीफ को शदीद और दादीद को खफीफ बनाया।

अभी यह वाक्य पूरा न होने पाया था कि लोगों ने प्रेमशंकर को लड़खड़ा कर जमीन पर गिरते देखा। किसी ने किसी से कुछ कहा नहीं, पर सबको किसी अनिष्ट की सुचना हो गयी। चारों तरफ सन्नाटा छा गया। लोगों की उड्डता शंका में परिवर्तत हो गयी। लोग पूछने लगे, यह किसकी लाठी थी, यह किसने मारा? उसके हाथ तोड़ दो, पकड़ कर गर्दन मरोड दो! किसकी लाठी थी? सामने क्यों नहीं आता। क्या ज्यादा चोट आयी?