पृष्ठ:प्रेम-पंचमी.djvu/७९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
६७
राज्य-भक्त

कप्तान―अँगरेज़ इनसे कही बेहतर इंतज़ाम करेंगे।

राजा―( करुण स्वर से ) कप्तान! ईश्वर के लिय ऐसी बातें न करो। तुमने मुझसे जरा देर पहले यह कैफियत क्यों न बयान की?

कप्तान―( आश्चर्य से ) आपके साथ तो बादशाह ने कोई अच्छा सलूक नहीं किया!

राजा―मेरे साथ कितना ही बुरा सलूक किया हो, लेकिन एक राज्य की कीमत एक आदमी या एक खानदान की जान से कही ज्यादा हाती है। तुम मेरे पैरो की बेड़ियाँ खुलवा सकते हो?

कप्तान―सारे अवध-राज्य में एक भी ऐसा आदमी न निकलेगा, जो बादशाह को सच्चे दिल से दुआ देता हो। दुनिया उनके जुल्म से तंग आ गई है।

राजा―मैं अपनो के ज़ुल्म को ग़ैरों को बंदगी से कही बेहतर ख़याल करता हूँ। बादशाह की यह हालत ग़ैरों ही के भरोसे पर हुई है। वह इसीलिये किसी की पर्वा नहीं करते कि उन्हें अँगरेज़ो की मदद का यकीन है। मैं इन फिरंगियो की चालों को ग़ौर से देखता आया हूँ। बादशाह के मिजाज को उन्ही ने बिगाड़ा है। उनकी मंशा यही थी, जो हुआ। रियाया के दिल से बादशाह की इज्जत और मुहब्बत उठ गई। आज सारा मुल्क बग़ावत करने पर आमादा है। ये लोग इसी मौके का इंतज़ार कर रहे थे। वह जानते हैं कि बादशाह