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प्रेम-पंचमी

बादशाह―तो क्या आप लोग मुझे तख्त से उतारना चाहते हैं?

रोशन―नहीं, आपका बादशाही की जिम्मेदारियों से आज़ाद कर देना चाहते हैं।

बादशाह―हज़रत इमाम की कसम, मैं यह ज़िल्लत न बर्दाश्त करूँँगा। मैं अपने बुज़ुर्गों का नाम न डुबाऊँगा।

रोशन―आपके बुज़ुर्गों के नाम की फ़िक्र हमे आपसे ज्यादा है। आपको ऐशपरस्ती बुज़ुर्गों का नाम रोशन नहीं कर रही है।

बादशाह―( दीनता से ) मैं वायदा करता हूँ कि आइंदा से मैं आप लोगों को शिकायत का कोई मौका न दूँँगा।

रोशन―नशेबाज़ो के वायदों पर कोई दीवाना ही यक़ीन ला सकता है।

बादशाह―तुम मुझे तख्त से ज़बरदस्ती नहीं उतार सकते।

रोशन―इन धमकियों को ज़रूरत नहीं। चुपचाप चले चलिए; आगे आपको सेज-गाड़ी मिल जायगी। हम आपको इज्जत के साथ रुख़सत करेंगे।

बादशाह―आप जानते हैं, रियाया पर इसका क्या असर होगा?

रोशन―ख़ूब जानता हूँ! आपकी हिमायत में एक उँगली भी न उठेगी। कल सारी सल्तनत में घी के चिराग़ जलेगे।

इतनी देर में सब लोग उस स्थान पर आ पहुँँचे, जहाँ बाद-