पृष्ठ:बंकिम निबंधावली.djvu/५९

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बोकम-निबन्धावली—
 

इस समय एक बात यह उठी है कि केवल उच्च श्रेणीके लोगोंके सुशि- क्षित होनेकी जरूरत है, निम्न श्रेणीके लोगोंको अलग शिक्षा देनेकी जरू- रत नहीं है। वे आप ही उच्च श्रेणीके द्वारा विद्वान् हो उठेगे । जैसे किसी सोखनेवाले पदार्थके ऊपर पानी डालनेसे उसके नीचकी तहतक भीग जाती है, वैसे ही बंगालीजातिरूप शोपक पदार्थकी ऊपरकी तहपर विद्यारूप जल डालनेसे उसकी नीचेकी तह—अर्थात् निम्नश्रेणी—भी भीग जायगी । जलकी बात होनेसे यह उक्ति निःसन्देह कुछ सरस जान पड़ती है। अँगरेजी शिक्षाके साथ ऐसा जलयोग हुए बिना हमारे देशकी इतनी उन्नतिकी आशा कभी नहीं की जा सकती थी । जल भी असंख्य है और सोखनेवाले भी असंख्य हैं। अबतक सूखे ब्राह्मण पण्डित देशको उजाड़ रहे थे, अब नई पौधके लोग जलयोगके द्वारा देशका उद्धार करेंगे। क्योंकि उनमें छिद्र होनेके कारण निम्नश्रेणीके लोग तक सरस हो उठेंगे !

किन्तु हमें यह आशा नहीं है कि यह जलमयी विद्या यहाँतक कर सकेगी। विद्या पानी या दूध नहीं है कि ऊपर डालनेसे नीचेकी तह तक असर करेगी। केवल इतना कहा जा सकता है कि किसी जातिका एक हिस्सा पढ़ालिखा सुशिक्षित होनेसे उसके संसर्गसे अन्य अंशकी भी श्रीवृद्धि हो सकती है। किन्तु यदि जातिके दोनों हिस्सोंकी भाषामें ऐसा भेद हो कि विद्वानकी भाषाको मूर्ख न समझ सके, तो संसर्गका फल कैसे हो सकता है ?

मुख्य बात यह है कि इस समय हम लोगोंके भीतर उच्च श्रेणी और निम्न श्रेणीके बीच परस्पर कुछ भी सहृदयता नहीं है । उच्चश्रेणीके सुशिक्षित लोग मूर्ख दरिद्र लोगोंके किसी दुःखसे दुखी नहीं होते । मूर्ख दरिद्र लोग धनी और सुशिक्षित लोगोंके किसी सुखसे सुखी नहीं हैं। इस समय यह परस्पर सहृदयताका अभाव ही देशोन्नतिके लिए प्रधान रुकावट है । इस सहृदयताके न होनेसे ही दोनों श्रेणियोंमें दिन दिन भारी अलगाव होता जाता है। अगर उच्च श्रेणी और निम्न श्रेणीमें ऐसा अलगाव है, तो फिर संसर्गका फल क्या होगा? जो अलग है उसके साथ संसर्ग कैसा ? अगर शक्तिशाली लोग अशक्त लोगोंके दुःखमें दुखी और सुखमें सुखी न हुए, तो फिर

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