पृष्ठ:बंकिम निबंधावली.djvu/६०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
सुशिक्षित बंगाली और बंगला भाषा ।
 

उनको उबारेगा कौन ? और, अगर सर्वसाधारणका उद्धार न हुआ तो फिर शक्तिशाली लोगोंकी उन्नति कहाँ हुई ? ऐसा तो कभी किसी देशमें नहीं हुआ कि निम्नश्रेणीके लोग सदा एक अवस्थामें रहें, और उच्चश्रेणीके लोगोंकी निरन्तर श्रीवृद्धि होती रहे। बल्कि जिस जिस समाजकी विशेष उन्नति हुई है, उस उस समाजमें दोनों श्रेणीके लोग समकक्ष, हिलेमिले और सहृदयतासम्पन्न ही देखे जाते हैं। जबतक ऐसा नहीं हुआ—जबतक दोनोंमें अन्तर बना रहा, तबतक उन्नति नहीं हो सकी। जब दोनों श्रेणियोंमें सामञ्जस्य हुआ तभीसे श्रीवृद्धिका श्रीगणेश हुआ। रोम, एथेन्स, इंग्लैण्ड, अमेरिका आदि देश इसके उदाहरण हैं। इन देशोंके इतिहासको सभी लोग अच्छी तरह जानते हैं। इसके विपरीत समाजके भीतर भिन्न भिन्न श्रेणियोंमें अलगाव रहनेसे जैसा अनिष्ट होता है, उसके उदाहरण स्पार्टी, फ्रान्स, मिसर और भारतवर्ष आदि देश हैं। एथेन्स और स्पार्टा, ये दोनों प्रतियोगी नगर थे। एथेन्समें सब समान थे; स्पार्टामें एक जाति प्रभु और एक जाति दास थी। एथेन्ससे पृथ्वीकी सभ्यताकी सृष्टि हुई। जिस विद्याके प्रभावसे आधुनिक यूरोपका इतना गौरव है, उसका जन्मस्थान एथेन्स है। और, स्पार्टा कुल-क्षयके कारण विध्वंसको प्राप्त हो गया। फ्रान्समें इसी अलगावके कारण सन् १७८९ में जो भारी गदर शुरू हुआ उसका अन्त अभी तक नहीं हुआ। यद्यपि उसका अन्तिम फल भलाई है, तथापि असाधारण समाज पीड़ाके बाद उस भलाईके लक्षण देख पड़ते हैं। हाथ-पैर काटकर रोगीको आरोग्य करनेके समान इस गदरसे समाजकी भलाई हो रही है। इस भयानक घटनाको सभी लोग अच्छी तरह जानते हैं। मिसरमें सर्वसाधारणके साथ धर्मयाजकोंका अलगाव रहनेके कारण असमयमें ही समाजकी उन्नतिका गला घुट गया। प्राचीन भारतमें वही काम वर्णगत अलगावने किया। वर्णगत अलगावके कारण उच्चवर्ण और नीचवर्णमें ऐसा भारी भेद पड़ गया कि वैसा भेद किसी देशमें नहीं पड़ा और वैसा अनिष्ट भी किसी देशमें नहीं हुआ। यहाँपर उस अनिष्टका विस्तृत वर्णन करनेकी कोई आवश्यकता नहीं है। इस समय वर्णगत अलगाव बहुत कुछ कम हो आया है। लेकिन दुर्भाग्यवश शिक्षा और सम्पत्तिके कारण दूसरे प्रकारका अलगाव दिनोंदिन बढ़ता जाता है।

४७