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पृष्ठ:बंकिम निबंधावली.djvu/९८

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भारत-कलंक।
 

शिवाजीने इस महामन्त्रका पाठ किया था। उनके सिंहनादसे महाराष्ट्र प्रदेश जग उठा था। उस समय मराठोंमें भ्रातृभाव देख पड़ा था। इसी महा- मन्त्रके बलसे मराठोंने उस मुगल-साम्राज्यको नष्ट कर दिया, जिसपर पहले किसीने विजय नहीं पाई थी। सारा भारत मराठोंके हाथमें आ गया था। भारतके सभी राजाओंने मराठोंके चरणों में सिर झुकाया था।

दुबारा रनजीतसिंहने 'खालसा' का महामन्त्र पढ़कर ऐसा ही चमत्कार दिखाया था । जातीय बन्धन दृढ़ होनेपर पठानोंका अपना देश भी कुछ कुछ हिन्दुओंके हाथमें आगया था। सतलजके उसपार सिंहनाद सुनकर निर्भीक अँगरेज भी शंकित हो उठे थे। भाग्यवश वह सिंह मर गया । लार्ड डलहौसीने होशियारीके साथ 'खालसा' के महामन्त्रका चमत्कार मिटा दिया। किन्तु रामनगर और चिनियानवालाकी लड़ाई इतिहासमें अंकित हो गई।

जब किसी प्रदेश-खण्डमें जाति-प्रतिष्ठाका उदय होनेसे इतना हुआ था, तब सम्पूर्ण भारत अगर एक-जाति बनकर जातीय भावसे परिपूर्ण हो उठता, तो क्या नहीं हो सकता था?

अँगरेज लोग भारतवर्षके परम उपकारी हैं। अँगरेज लोग हमें नई नई बातें सिखा रहे हैं। जो हम कभी जानते न थे वही जना रहे हैं, जो हमने कभी देखा सुना और समझा नहीं था वही हमको दिखा, सुना और समझा रहे हैं। जिस मार्गमें हम कभी चले नहीं, उस मार्गमें किस तरह चलना चाहिए, सो हमको सिखा रहे हैं। इन शिक्षाओंमें अनेक शिक्षायें अमूल्य हैं। जो अमूल्य रत्न हमको अंगरेजोंके ज्ञानभाण्डारसे मिले हैं उनमें दोका इस प्रबन्धमें उल्लेख किया गया है—एक स्वातन्त्र्यप्रियता और द्वितीय जाति-प्रतिष्ठा । हिन्दू इन्हें पहले नहीं जानते थे।

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  • इस प्रबन्धमें जहाँ जाति शब्द आया है वहाँ उसका अर्थ Nation-ality या Nation समझना चाहिए।

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