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पृष्ठ:बगुला के पंख.djvu/२५४

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२५२ बगुला के पंख चैक दीजिए। ब्लैंक भी, और बिअरर भी।' 'इसका मतलब तो यह हुआ कि मेरी गर्दन आपके हाथ में ।' 'मतलब जो चाहे समझिए । विश्वास हो तो मेरी सेवाएं हाज़िर हैं।' 'चलो पक्की रही मुंशी साहब, ब्लैंक चैक ही दूंगा।' 'तो मुंशी को भी खरा दोस्त परख लेना।' 'तो अब दूसरी मुलाकात हुजूर की मिनिस्टरी के सिलसिले में होगी।' 'क्या मुज़ाइका है !' जुगनू ने मुस्कराकर कहा और उठ खड़ा हुआ । ८१ शेरवानी बगुला अब अंग्रेजी राज चला गया। उसकी जगह कांग्रेसी राज की स्थापना हो गई। पर परम्परा वही रही । योग्य' क्लर्कों और अफसरों के सिर पर अंग्रेज़ की जगह कोई कांग्रेसी आ बैठा। अंग्रेज़ में और कांग्रेसी में थोड़ा ही अन्तर है । अंग्रेज़ की चमड़ी गोरी और सूट काला था। कांग्रेसी की चमड़ी काली और के पंख-सी सफेद खादी की है । अंग्रेज़ क्लबों में शराब पीता और वाही-तबाही करता था। कांग्रेसी कभी-कभी खाता-पीता भी है और सभा-सोसाइटियों की सभापति की कुर्सी पर वाही-तबाही बकता है । उद्घाटन करता है। अपने दफ्तर के सम्बन्ध में वह कुछ नहीं जानता। पर इससे कोई काम रुकता नहीं है। सिर्फ उसे दस्तखत करने पड़ते हैं और यह काम वह कीमती फाउण्टेन पैन से बखूबी कर लेता है। उसके दफ्तर का बड़ा बाबू जानता है कि वह गधा है, पर इसमें उसे कोई ऐतराज़ नहीं है। उसे अपनी तनख्वाह से मतलब है। सरकार की नीति की आलोचना उसके लिए राजद्रोह का जुर्म है । अव आप फर्माइए, जुगनू के वाणिज्यमन्त्री की कुर्सी पर बैठने में आपको क्या ऐतराज़ है ? योग्यता की ओर आपका संकेत है तो सुनिए। पांच साल में उसने काफी योग्यता प्राप्त कर ली है। पांच साल कुछ कम नहीं होते। पांच साल में मैट्रिक पास अल्हड़ युवक ग्रेजुएट बनकर अपनी पतलून की क्रीज़ ठीक से रखने की योग्यता धारण कर लेता है । फिर जुगनू तो एक मेधावी तरुण था।