पृष्ठ:बगुला के पंख.djvu/५८

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५६ बगुला के पंख कान में धीरे से कह दिया, 'देखो, यह साला सेठ राधाकिसन मेम्बर बनकर तीन बरस में लखपति बन गया।' कांग्रेस की ओर से शोभाराम की सिफारिश से मुंशी जगनपरसाद खड़े हुए। शोभाराम अब कुछ स्वस्थ हो रहे थे और थोड़ी देर को दफ्तर भी चले आते थे । जुगनू में अब बड़ा परिवर्तन हो गया था। वह गम्भीर और विचारशील बन गया था। उसकी दुर्दम्य कामवासना में तनिक भी अन्तर न आया था, परन्तु पद्मादेवी से वह दूर ही दूर रहता था। इसके अतिरिक्त वह प्रतिदिन नियमित रूप से दो घंटा लाइब्रेरी में बैठता था। कुछ दिन वह केवल दैनिक समाचारपत्र पढ़ता रहा। बाद में मासिक मैगज़ीन पढ़ने की ओर उसकी रुचि गई और अब वह पुस्तकें पढ़ता था। शुरू में उसने दो-चार उपन्यास पढ़े, पर जब से चुनाव का प्रश्न छिड़ा और वह म्युनिसिपल कमिश्नर होने के स्वप्न देखने लगा, तब से उसकी अभिलाषा वढ़ी कि भाषण देने का उसे अभ्यास होना चाहिए और नागरिकशास्त्र का भी उसे अभ्यास करना चाहिए। शोभाराम उसे जब-तब नागरिकशास्त्र के सम्बन्ध में बहुत-सी बातें बताते रहते थे, और उसे अमुक पुस्तक पढ़ने की सलाह भी देते रहते थे। वही पुस्तक वह दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी में आकर पढ़ने लगता । रात को बड़ी देर तक वह हिन्दी का अभ्यास करता रहता । शोभाराम ने उसे बताया था कि कांग्रेस टिकट पर दिल्ली म्यूनिसिपैलिटी का सदस्य बनना आसान नहीं है । वह एक दिन वहां का चेयरमैन भी बन सकता है। अतः इसके लिए उसे तैयारी करनी चाहिए। उच्चाकांक्षाएं वासना की भांति ही उसके मन में पनप रही थीं और वह सब तरह पूरी सावधानी से, तन-मन से परिश्रम करके अपनी सारी ही दुर्बलताओं को मिटाने की प्राणपण से चेष्टा कर रहा था। रामलीला की धूमधाम भी चुनाव की धूमधाम में मिल गई। दिल्ली की रामलीला भी एक ऐसा समारोह है, जिसका समूची दिल्ली पर एक सांस्कृतिक प्रभाव पड़ता है। यद्यपि अभी तक भी उसका रूप वैसा ही दकियानूसी है, पर राष्ट्रपतिजी, प्रधानमन्त्रीजी और विदेशी राजदूतों की उपस्थिति ने उसका महत्त्व बहुत बढ़ा दिया है । जनसंघ हिन्दुत्व के उत्कर्ष और हिन्दूधर्म के सांस्कृतिक रूप को लेकर रामलीला के कारण जनता में जो जोश था, उससे लाभ उठाने लगा । कांग्रेस की दिल खोलकर बुराइयां होती थीं, परन्तु ये सारे सलाम-पैगाम व्यर्थ गए। इसी वार्ड से विजय हुई कांग्रेसी उम्मीदवार मुशी