ई - हिंदी वर्णमाला का चौथा अक्षर और 'इ' का दीर्घ रूप जिसके उच्चारण का स्थान तालु है 1 ईगुर-संज्ञा पुं० गंधक और पारे से घटित एक खनिज पदार्थ जिसकी ललाई बहुत चटकी होती है। सिंगरफ और सुंदर ईंट - संज्ञा स्त्री० १. साँचे में ढाला हुआ मिट्टी का चोखूँटा लंबा टुकड़ा जिसे जोड़कर दीवार उठाई जाती है । २. धातु का खूँटा ढला हुआ टुकड़ा । ३. ताश का एक रंग । ईटा - संज्ञा पुं० दे० ई डरी-संज्ञा स्त्री० उठाते समय सिर डु " ईंट" | कपड़े की कुंडला- घड़ा या बोझ पर रख लेते हैं । इधन-संज्ञा पुं० जलाने की लकड़ी या कंडा | जलावन । ईक्षण - संज्ञा पुं० [वि० ईक्षणीय, ईक्षित, ईक्ष्य ] १. दर्शन । २. आँख । ३. वि चार । ईख - संज्ञा स्त्री० गन्ना । ऊख । ईखना- क्रि० स० देखना | हेछन -संज्ञा पुं० श्रख । ईछना - क्रि० स० इच्छा करना । चाहना । ईच्छा - संज्ञा स्त्री० इच्छा । ईजाद - संज्ञा स्त्री० आविष्कार । ईठ - संज्ञा पुं० मित्र । सखा । ईठना- क्रि० स० इच्छा करना । ईढ़-संज्ञा स्त्री० [वि० ईदी] ज़िद । हठ | ६५ ई ईपना ईति -संज्ञा स्त्री० खेती को हानि पहुँचाने- वाले उपद्रव जो छः प्रकार के हैं । ईद-संज्ञा स्त्री० मुसलमानों का एक स्योहार जो रोज़ा ख़तम होने पर होता है । ईदृश-क्रि० वि० इस प्रकार | ऐसे । वि० इस प्रकार का । ऐसा । ईप्सा- पंज्ञा स्त्री० इच्छा । अभिलाषा । ईप्सित - वि० चाहा हुन । ईमान - संज्ञा पुं० १. धर्म-विश्वास । २, अच्छी नीयत । ३. धर्म । ४. सत्य । ईमानदार - वि० १. विश्वास रखने- वाला । २. विश्वासपात्र । ३. सच्चा । ईरखा - संज्ञा स्त्री० दे० " ईर्षा " । ईरान-संज्ञा पुं० [फा०] फ़ारस देश | ईषणा :- संज्ञा स्त्री० ईर्षा । डाह । ईर्षा -संज्ञा स्त्रो० डाह । इसद | ईर्षालु वि० ईर्षा करनेवाला । ईश - संज्ञा पुं० १. स्वामी । २. राजा । ३. ईश्वर । ४. महादेव । ईशता - संज्ञा स्त्री० प्रभुत्व | ईशान - संज्ञा पुं० १. स्वामी । २. शिव । ३. ग्यारह की संख्या । ४. ग्यारह रुद्रों से एक । ५. पूरब और उत्तर के बीच का कोना | ईश्वर - संज्ञा पुं० १. स्वामी । २. पर- मेम्वर । भगवान् । ३. महादेव । शिव । ईश्वरप्रणिधान -संज्ञा पुं० ईश्वर में अत्यंत श्रद्धा और भक्ति रखना । ईश्वरीय - वि० १. ईश्वर-संबंधी । २० ईश्वर का । ईषत - वि० थोड़ा। कम । ईषना० - संज्ञा बी० प्रबळ इच्छा ।
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