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पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१०५

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उकताना उकताना- क्रि० अ० १. ऊबना । २. जल्दी मचाना । उकलना- क्रि० प्र० १. उच्चड़ना । २. लिपटी हुई चीज़ का खुलना । उकलाई - सज्ञा स्त्री० कै । उलटी । उकलाना - क्रि० अ० उलटी करना । वमन करना । कै करना । उकसना- क्रि० प्र० १. उभरना । ऊपर को उठना । २. निकलना । अंकुरित होना। ३. उधड़ना । उकसनि -संज्ञा स्त्री० उठने की क्रिया या भाव । उभाड़ | उकसाना - क्रि० स० १. ऊपर को उठाना । २. उभाड़ना । उत्तेजित करना । ३. उठा देना । हटा देना । उकसौंहाँ - वि० [स्त्री० उकसांहीं] उभ- ढ़ता हुआ । उकाब - सज्ञा पुं० बढ़ी जाति का एक गिद्ध | गरुड़ । उकालना - क्रि० स० दे० "उके- लना" । उकासना - क्रि० स० उभाड़ना । उकुसना - क्रि० स० उजाड़ना । उधेड़ना । उकेलना - क्रि० स० १. तह या पत से अलग करना । उच्चाड़ना । २. लिपटी हुई चीज़ को छुड़ाना या अलग करना । उधेड़ना । उक्त - वि० कथित । कहा हुआ । उक्ति - संज्ञा स्त्री० १. कथन । वचन । २. श्राखा वाक्य । चमत्कारपूर्ण कथन । उखड़ना - क्रि० प्र० १. किसी जमी या गड़ी हुई वस्तु का अपने स्थान से अलग हो जाना । २. संगीत में बेताल और बेसुर होना । ७ ६७ उगलाना उखड़वाना- क्रि० स० किसी को उखाड़ने में प्रवृत्त करना । उखम - संज्ञा पुं० गरमी । उखली -संज्ञा स्त्री० पत्थर या लकड़ी का एक पात्र जिसमें डालकर भूसी- वाले अनाजों की भूसी मूसलों से कूटकर अलग की जाती है। कौड़ी। उखा - संज्ञा स्त्री० दे० "उषा" । उखाड़ - संज्ञा पुं० १. उखाड़ने की क्रिया । उत्पाटन । २. वह युक्ति जिससे कोई पेंच रद्द किया जाता है । तोड़ | उखाड़ना - क्रि० स० १. किसी जमी, गढ़ी या बैठी हुई वस्तु को स्थान से पृथक करना । जमा न रहने देना । २. अंग को जोड़ से अलग करना । उखारी | - संज्ञा स्त्री० ईख का खेत । उखेलना- क्रि० स० उरेहना । लिख- ना । खींचना | उगटना- क्रि० अ० १. उघटना । बार बार कहना । २. ताना मारना । बोली बोलना । उगना - क्रि० भ० १. निकलना । उदय होना। २. जमना । अंकुरित होना । ३. उपजना । उगरना- क्रि० प्र० १. भरा हुआ पानी आदि निकलना । २. भरा हुआ पानी आदि निकल जाने से खाली होना । उगलना - क्रि० स० पेट में गई हुई वस्तु को मुँह से बाहर निकालना । करना । उगलवाना- क्रि० स० दे० "उग लाना" । उगलाना - क्रि० स० १. मुख से निक लवाना। २. दोष को स्वीकार