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पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१८६

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कुँडा लिये कुएँ से पानी निकालते हैं । कुड़ा -संज्ञा पुं० [स्त्री० कूँड़ो ] १. पानी रखने का मिट्टी का गहरा बरतन । २. गमला । ३. रोशनी करने की बड़ी होंड़ी । कँडी - संज्ञा स्त्री० १. पथरी । २. छोटी नींद । कुँथना - क्रि० प्र० कखिना । क्रि० स० मारना । कुई -संज्ञा स्त्री० कुमुदिनी । कूक - संज्ञा स्त्री० १. लंबी सुरीली ध्वनि । २. मोर या कोयल की बोली । संज्ञा स्त्री० घड़ो या बाजे श्रादि में कुंजी देने की क्रिया । कूकना - क्रि० भ० कोयल या मोर का बोलना । क्रि० स० कमानी कसने के लिये घड़ी या बाजे में कुंजी भरना । कूकर | संज्ञा पुं० [स्रो० कूकरो ] कुत्ता । कूकर कौर - स्त्री०, पुं० १. वह जूठा भोजन जो कुत्ते के आगे डाला जाता है । २. तुच्छ वस्तु । कुका - संज्ञा पुं० सिक्खों का एक पंथ । कूच - संज्ञा पुं० प्रस्थान | कुचा - संज्ञा पुं० छोटा रास्ता । गली । कूज - संज्ञा स्त्री० ध्वनि । कूजन - संज्ञा पुं० [वि० कूजित ] मधुर शब्द बेलना (पक्षियों का ) । कूजना - क्रि० प्र० कोमल और मधुर शब्द करना । कूजा - संज्ञा पुं० १. मिट्टी का पुरवा । २. मिट्टी के पुरवे में जमाई हुई e dreamer मिस्री । कूजित - वि० जो बोला या कहा १७८ कूतना गया हो । ध्वनित । कूट- संज्ञा पुं० १. पहाड़ की ऊँची २. गूढ़ अर्थ की पहेली । वि० झूठा । संज्ञा स्त्री० कुट नाम की श्रोषधि । संज्ञा स्त्री० काटने, कूटने या पीटने आदि की क्रिया । कूटता - संज्ञा स्त्री० १. छल । कठिनाई । २. कूटना - क्रि० स० १. किसी चीज़ को तोड़ने आदि के लिये उस पर बार बार कोई चीज़ पटकना | २. मारना । कूटनीति संज्ञा स्त्रो० दाँव-पेंच की नीति या चाल | घात | कूटयुद्ध - संज्ञा पुं० वह लड़ाई जिसमें शत्रु को धोखा दिया जाय । कूटसाक्षी-संज्ञा पुं० झूठा गवाह | कूटस्थ - वि० १. श्राला दर्जे का | २. श्रविनाशी । ३. गुप्त । कूटू - संज्ञा पुं० एक पौधा जिसके बीजे का श्राटा व्रत में फलाहार के रूप में खाया जाता है। काफर | कूड़ा-संज्ञा पुं० १. कतवार । २. निकम्मी चीज़ | कूड़ाखाना -संज्ञा पुं० वह स्थान जहाँ कूड़ा फेंका जाता हो । कूढ़-संज्ञा पुं० बोने की वह रीति जिस- में हलकी गड़ारी में बीज डाला जाता 1 वि० नासमझ | कूढ़मग्ज - वि० मंदबुद्धि । कूत-संज्ञा स्त्री० वस्तु की संख्या, मूल्य या परिमाण का अनुमान । कूतना-क्रि० स० अनुमान करना ।