कोरी कोरी -संज्ञा पुं० जुलाहा । स्त्री० कोरिन ] हिंदू कोल - संज्ञा पुं० १. सूअर । २. गोद । ३. एक जंगली जाति । कोलाहल -संज्ञा पुं० शोर । कोली -संज्ञा स्त्री० गोद । संज्ञा पुं० कोरी । तेल या कोल्हू - संज्ञा पुं० दानों से गने से रस निकालने का यंत्र । कोविद - वि० [स्त्री० कोविदा ] पंडित । कोविदार-संज्ञा पुं० कचनार | केश - संज्ञा पुं० १. डिब्बा । २. आवरण । ३. संचित धन । ४. वह ग्रंथ जिसमें अर्थ या पर्याय के सहित शब्द इकट्ठे किए गए हैं। । केrशकार - संज्ञा पुं० १. म्यान बनाने- वाला । २. शब्द-कोश बनानेवाला । कोशपाल - संज्ञा पुं० ख़ज़ाने की रक्षा करनेवाला । कोशल-संज्ञा १. सरयू या घाघरा नदी के दोनों तटों पर का देश । २. उपर्युक्त देश में बसनेवाली क्षत्रिय जाति । ३. अयोध्या नगर । कोशागार - संज्ञा पुं० खज़ाना । कोशिश - संज्ञा स्त्री० प्रयत्न । कोष -संज्ञा पुं० दे० " कोश" । कोषाध्यक्ष-संज्ञा पुं० खज़ानची । कोष्ठ - संज्ञा पुं० १. पेट का भीतरी हिस्सा । २. भंडार । कोष्ठक - संज्ञा पुं० किसी प्रकार की दीवार, लकीर या और किसी वस्तु से घिरा स्थान । खाना । कोठा । कोष्ठबद्ध - संज्ञा पुं० कुब्जियत । कोष्ठी- संज्ञा श्री० जन्मपत्री । कोस -संज्ञा पुं० दूरी की एक नाप । दो मील की दूरी । १८३ कौमाना कोसना - क्रि० स० शाप के रूप में गालियाँ देना । कोसा - संज्ञा पुं० एक प्रकार का रेशम । संज्ञा पुं० [स्त्री० कोसिया ] मिट्टी का बड़ा दीया । केासा- काटी -संज्ञा स्त्री० बद्दुश्रा । कोसिला ! -संज्ञा स्त्री० दे० " "कौशल्या" । कोहड़ौरी-संज्ञा स्त्री० उर्द की पीठी और कुम्हड़े के गुदे से बनाई हुई बरी | कोह - संज्ञा पुं० पर्वत । + संज्ञा पुं० क्रोध | कोहनी - संज्ञा स्त्री० दे० " कुहनी " । कोहनूर - संज्ञा पुं० भारत की किसी खान से निकला हुआ एक बहुत बड़ा प्राचीन और प्रसिद्ध हीरा । कोहबर - संज्ञा पुं० वह स्थान पा घर जहाँ विवाह के समय कुल देवता स्थापित किए जाते हैं । कोहान - संज्ञा पुं० ऊँट की पीठ पर का डिल्ला या कूबड़ । कोहाना- क्रि० प्र० रूठना । को हिस्तान - संज्ञा पुं० पहाड़ी देश । कोही - वि० क्रोध करनेवाला । वि० पहाड़ी । कौंच -संज्ञा श्री० केवच । कौछ-मंशा स्त्री० दे० "कौंच”। कौंध --संज्ञा स्त्री० बिजली की चमक । कौंधना- क्रि० प्र० बिजली का चमकना । कौला - संज्ञा पुं० एक प्रकार का मीठा नींबू या संगतरा | कौश्रा -संज्ञा पुं० दे० "कौवा " । कौश्राना | - क्रि० भ० १. भौचक्का होना २. अचानक कुछ बड़बड़ा सठना ।
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