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पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१९३

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कोण कोण - संज्ञा पुं० १. एक बिंदु पर मिलती या कटती हुई दो ऐसी रेखाओं के बीच का अंतर जो मिलकर एक न हो जाती हों। कोना । २. दो दिशाओं के बीच की दिशा । कोतल - संज्ञा पुं० सजा सजाया घोड़ा जिस पर कोई सवार न हो । कोतवाल - संज्ञा पुं० पुलिस का इंस- पेक्टर | कोतवाली-संज्ञा श्री० वह मकान जहाँ पुलिस के कोतवाल का कार्यालय हो । कोता + - वि० [स्त्री० कोती ] छोटा । कोताह - वि० छोटा । कोताही संज्ञा स्त्री० त्रुटि । के थिला -संज्ञा पुं० १. बड़ा थैला । २. पेट | कोदंड - संज्ञा पुं० १. धनुष । २. धनुं राशि । ३. भौंह | कोद + संज्ञा स्त्रो० दिशा । कोदो, कोदो - संज्ञा पुं० एक कदन्न जो प्रायः सारे भारतवर्ष में होता है । कोना - संज्ञा पुं० १. अंतराल । २. नुकीला सिरा । कोप - संज्ञा पुं० [वि० कुपित ] क्रोध । कोपना - क्रि० अ० क्रोध करना । कोपभवन -संज्ञा पुं० वह स्थान जहाँ - कोई मनुष्य रूठकर जा रहे । कोपर - संज्ञा पुं० डाल का पका हुआ श्राम । टपका । कोपल - संज्ञा पुं० वृक्ष आदि की नई मुलायम पत्ती । कोपि सर्व० कोई | कोपी - वि० क्रोधी । कोफ्ता-संज्ञा पुं० कूटे हुए मांस का हुआ एक प्रकार का कबाब । hrat - संज्ञा स्त्री० दे० " गोभी" । १८५ कोमल - वि० १. मृदु । ३. स्वर का एक भेद । कोमलता - संज्ञा स्त्री० १. २. मधुरता । कोरापन २. सुंदर । ( संगीत ) मृदुलता । कोमला संज्ञा स्त्री० वह वृत्ति या श्रवर-योजना जिसमें कोमल पद हैं। और प्रसाद गुण हो ! कोय-सर्व० दे० "कोई " । कोयल - संज्ञा स्त्री० बहुत सुंदर बोलने- वाली काले रंग की एक छोटी चिड़िया | कोयला - संज्ञा पुं० १. जली हुई लकड़ी का बुझा हुआ अंगारा जो बहुत काला होता है २. एक प्रकार का खनिज पदार्थ जो कोयले के रूप का होता और जलाने के काम में श्राता है । कोया -संज्ञा पुं० कटहल का गूदेदार बीजकोश जो खाया जाता है । कोर-संज्ञा स्त्री० १. किनारा । द्वेष । ३. पंक्ति । कारक - संज्ञा पुं० कली । कोर-कसर - संज्ञा स्त्री० १. ऐव और कमी । २. कमी बेशी । कोरमा -संज्ञा पुं० भुना हुथा मांस जिसमें शोरबा बिलकुल नहीं होता । के रहन - संज्ञा पुं० एक प्रकार का धान । कोरा - वि० [स्त्री० कोरी ] १. नया । २. खाली । ३. बेदाग़ । ४. मूर्ख 1 संज्ञा पुं० बिना किनारे की रेशमी धोती । + संज्ञा पुं० गोद | कोरापन - संज्ञा अछूतापन | पुं० नवीनता ।