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पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/३५

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अटोक की आंटी बनाना । २. मात्रा से अधिक मद्य या नशा पीना । अटोक - वि० बिना रोक-टोक का । अट्टसह-संज्ञा पुं० [ अनु० ] अनाप- शनाप । व्यर्थ की बात । अट्टहास - संज्ञा पुं० ज़ोर की हँसी । अट्टालिका - संज्ञा स्त्री० श्रटारी । कोठा । श्री-सशास्त्री० अटेरन पर लपेटा हुआ सूत या ऊन । लच्छा । अट्ठा - संज्ञा पुं० ताश का वह पत्ता जिस पर किसी रंग की आठ बूटियाँ हैं। । अट्ठाईस - वि० बीस और आठ । अट्टान - वि० एक संख्या । नब्बे और श्राठ । अट्ठावन - वि० पचास और श्राठ । अट्ठासी - वि० दे० " अठासी" । अठ* - वि० दे० "प्राठ" । (समास में ) । श्रठई-संज्ञा स्त्री० अष्टमी तिथि । अठकौसल - संज्ञा पुं० १. गोष्ठी । पंचायत । २. सलाह | मंत्रणा । अठखेली - संज्ञा स्त्री० विनाद । क्रीड़ा । चुलबुलापन | अठत्तर- वि० दे० "अठहत्तर" । श्रटनी - संज्ञा स्त्री० आठ श्रनेका चाँदी का सिक्का । अठपहला - वि० [सं० श्रष्टपटल ] श्राठ कोनेवाला । अठमासा - संज्ञा पुं० दे० " ठर्वांसा" | अठमासी-संज्ञा स्त्री० [हिं० भाठ + माशा ] श्राठ माशे का सोने का सिक्का | सावरिन । गिनी । अठलाना - क्रि० अ० १. एठ दिख- जाना । इतराना । २. चोचला करना । ३. मस्ती दिखाना । २७ अड़तीस गर्भ जो आठ ही महीने में उत्पन हो जाय । संज्ञा पुं० १. सीमंत संस्कार । २. वह खेत जो असाढ़ से माघ तक समय समय पर जाता जाय और जिसमें ईबोई जाय । अठवारा - संज्ञा पुं० आठ दिन का समय । सप्ताह । हफा । अठहत्तर - वि० सत्तर और श्राठ । ७८ । श्रठाई - वि० उत्पाती । नटखट । अठान -संज्ञा पुं० १. श्रयेोग्य या दुष्कर कर्म । २. वैर । शत्रता । अठाना - क्रि० स० सताना पीड़ित करना । क्रि० स० मचाना | ठानना । अठारह - वि० दस और आठ । अठासी - वि० अस्सी और श्राठ । श्रठिलाना-क्रि० प्र० दे० "श्रठ- लाना” । अठेल-वि० बलवान् । जोरावर । श्रठोतरी - संज्ञा स्त्री० एक सौ आठ दानों की जपमाला । अड़ंगा - सं० टांग अड़ाना । रुकावट । अडंड - वि० दे० " अदंड्य" । श्रड़-संज्ञा पुं० [सं० हठ ] हठ | ज़िद । डग-वि० न डिगनेवाला । अड़गड़ा - संज्ञा पुं० १. बैलगाड़ियों के ठहरने का स्थान । २. बैलेां या घोड़ों की बिक्री का स्थान | अड़ गोड़ा-संज्ञा पुं० लकड़ी का टुकड़ा जिसे नटखट चौपायों के गले में बांधते हैं । अड़चन - संज्ञा स्त्री० कठिनाई। दिक्कत । अड़तालीस - वि० चालीस और आठ । अठवांसा - वि० [सं० अष्टमास ] वह अड़तीस - वि० तीस और श्राठ |