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पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/३९

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३१ २. बहुत हो । बहुत गहरा । अधिक । ३. गंभीर । गूढ़ । संज्ञा पुं० १. गहराई । २. जलाशय । ३. समुद्र । अथोर - वि० अधिक । ज्यादा । बहुत । अखंड - वि० १. सज़ा से बरी । २. जिस पर कर या महसूल न लगे । ३. स्वेच्छाचारी । ४ उद्दंड | संज्ञा पुं० वह भूमि जिसकी माल- गुज़ारी न लगे। मुश्राफी । अदंड्य - वि० जा सके । सज़ा से बरी । श्रदंत - वि० १. जिसे दाँत न हो । २. बहुत थोड़ी अवस्था का । दुध- मुह । अद्ग - वि० १. बेदाग़ । शुद्ध । २. निरपराध | निर्दोष । ३. अछूता । जिसे दंड न दिया अस्पृष्ट । साफ़ । श्रदत्ता-संज्ञा स्त्री० शविवाहिता कन्या । अदद -संज्ञा स्त्री० संख्या । गिनती । अदन - सज्ञा पुं० १. पैगंबरी मतों के अनुसार स्वर्ग का वह उपवन जहाँ ईश्वर ने श्रादम को बनाकर रक्खा था । २. एक बंदरगाह | अदना - वि० १. तुच्छ । २. मामूली । अदब-संज्ञा पुं० शिष्टाचार | कायदा | अदबदाकर- क्रि० वि० टेक बांध- कर । श्रवश्य । ज़रूर । श्रदभ्र - वि० बहुत । श्रधिक । श्रदम पैरवी - संज्ञा स्त्री० किसी मुकु- इमे में ज़रूरी कार्रवाई न करना । अदम्य - वि० जिसका दमन न हो सके । प्रचंड | श्रदय - वि० दया-रहित । श्रदावती तीक्ष्ण और चरपरी जड़ या गाँठ औषध और मसाले के काम में श्राती है 1 1 अदर्शन - संज्ञा पुं० लोप । विनाश । प्रदर्शनीय - वि० १. जो देखने लायक न हा । २. कुरूप । अदल - संज्ञा पुं० न्याय । इंसाफ़ | अदल बदल - पंज्ञा पुं० उलट पुलट । अदवान - संज्ञा स्त्री० चारपाई के पैताने बिनावट को खींचकर कड़ो रखने के लिये उसके छेद में पड़ी हुई रस्सी । श्रनचन । श्रदहन - संज्ञा पुं० श्राग पर चढ़ा हुआ वह गरम पानी जिसमें दाल, चावल आदि पकाते हैं । दात - वि० जिसे दाँत न आए हों । दांत - वि० १. जो इंद्रियों का दमन न कर सके । २ उद्दंड | अदा - वि० चुकता | बेबाक | सज्ञा स्त्री० हाव भाव । श्रदान- वि० अनजान | नादान । नासमझ । अदालत - संज्ञा स्त्री० [वि० अदालती ] न्यायालय | कचहरी । अदालत दीवानी -संज्ञा स्त्री० वह अदालत जिसमें संपत्ति वा स्वत्व- संबंधी बातों का निर्णय होता है। अदालत माल - संज्ञा स्त्री० वह श्रदा- लत जिसमें लगान और मालगुज़ारी संबंधी मुकद्दमे दायर किए जाते हैं। अदालती - वि० १. अदालत का । २. जो अदालत करे। मुकद्दमा लड़ने- वाला । श्रदावत - संज्ञा स्त्री० शत्रुता । दुश्मनी । वैर । विरोध | अदरक - संज्ञा पुं० एक पौधा जिसकी अदावती - वि० जो श्रदावत रक्खे |