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अहल्या अहल्या-संज्ञा जी० गौतम ऋषि की पत्नी । अहसान -संज्ञा पुं० १. किसी के साथ नेकी करना । २. कृतज्ञता । अहह - अव्य० श्राश्चर्य, खेद, क्लेश या शोक-सूचक एक शब्द | श्रहा - भव्य ० शब्द | प्रसन्नता सूचक एक श्रहाता - संज्ञा पुं० घेरा । हाता । अहारना - क्रि० स० १. खाना । २. पकाना। ३. कपड़े में माँड़ी देना । ४. दे० "हरना" । अहाहा - अव्य० हर्ष - सूचक अव्यय । अहिंसा-संज्ञा स्त्री० किसी को दुःख न देना । किसी जीव को न सताना या न मारना । श्रहिंस्र - वि० जो हिंसा न करे । हि संज्ञा पुं० साँप ! श्रहित-वि० शत्रु । वैरी । संज्ञा पुं० बुराई । अकल्याण । अहिफेन - संज्ञा पुं० १. सर्प के मुँह की लार या फेन । २. अफ़ीम । अहिवेल*- * -संज्ञा स्त्री० नाग- बेल । पान । ७२ श्र अहिवात - संज्ञा पुं० [वि० महिवाती] स्त्री का सौभाग्य । सोहाग | श्रहिषाती - वि० स्त्री० सौभाग्यवती । अहीर-संज्ञा पुं० [स्त्री० अहीरिन ] रत्राला । श्रहीश संज्ञा पुं० १. शेषनाग । २. शेष के अवतार लक्ष्मण और बल- राम आदि । ठ - वि० साढ़े तीन । तीन और श्रधा । हेतु - वि० १. बिना कारण का । २. व्यर्थ । फजूल । श्रहेतुक - वि० दे० " श्रहेतु" । अहेर - संज्ञा पुं० १. शिकार । मृगया । २. वह जंतु जिसका शिकार किया जाय । अहेरी - संज्ञा पुं० शिकारी । श्रहो भव्य० एक अव्यय । अहोरात्र - संज्ञा पुं० दिन-रात । श्रहोरा बहारा - संज्ञा पुं० विवाह की एक रीति जिसमें दुलहिन ससुराल में जाकर उसी दिन अपने घर लौट जाती है । हेराफेरी । श्रा- हिंदी वर्णमाला का दूसरा जो 'अ' का दीर्घ रूप है । चर क- संज्ञा पुं० १. अंक । चिह्न । २. अदद । ३. अक्षर । ४. लकीर । आँकड़ा संज्ञा पुं० १. अंक । अदद । श्रकना- क्रि० स० [सं० अंकन ] १. चिह्नित करना । २. अंदाज़ करना । कर - वि० १. गहरा । २. बहुत अधिक वि० महँगा । कुल संज्ञा पुं० दे० " कुश" । श्रख संज्ञा स्त्री० १. वह इंद्रिय