आहार-विहार आहार-विहार-संज्ञा पुं० खाना, पीना, सोना आदि शारीरिक व्यवहार । रहन-सहन । श्राहारी - वि० खानेवाला । भक्षक । श्राहार्थ्य - वि० १. ग्रहण किया हुआ । २. खाने योग्य । श्राहित- वि० १. स्थापित । २. घरो- हर या गिरों रखा हुआ । श्राहिस्ता- क्रि० वि० धीरे से | धीरे धीरे । शनैः शनैः । श्रहुत-संज्ञा पुं० १. श्रातिथ्य सत्कार । २. भूतयज्ञ । इंद्रकील १. मंत्र पढ़कर द्रव्य को श्रभि में श्राहुति -संज्ञा स्त्री० देवता के लिये डालना । होम | हवन । २. हवन में डालने की सामग्री । ३. होम-द्रव्य की वह मात्रा जो एक बार यज्ञकुंड में डाली जाय । श्राहूत - वि० आह्वान किया हुआ । निमंत्रित । श्राह्निक- वि० दैनिक | श्रह्लाद - संज्ञा पुं० श्रानंद । हर्ष । आह्वान - संज्ञा पुं० [सं०] १. बुलाना । २. बुलावा । इ-वर्णमाला में स्वर के अंतर्गत तीसरा वर्ण । इसका स्थान तालु और प्रयत्न विवृत है । ई इसका दीर्घ रूप है । इंगला - संज्ञा स्त्री० इड़ा नाम की एक नाड़ी । इँगलिस्तान - संज्ञा पुं० इंगलैंड | इंगित - संज्ञा पुं० अभिप्राय को किसी चेष्टा द्वारा प्रकट करना । इशारा । इंगुदी -संज्ञा स्त्री० हिंगोट का पेड़ । गुरौटी - संज्ञा स्त्री० ईंगुर या सिंदूर रखने की डिबिया । सिंधारा । इंच - संज्ञा स्त्री० एक फुट का बारहवाँ हिस्सा | हुँचना - क्रि० प्र० दे० " खिंचना" । इंजन- संज्ञा पुं० रेलवे ट्रेन में वह गाड़ी जो भाप के ज़ोर से सब गाड़ियों को खींचती है। इंजीनियर-संज्ञा पुं० १. कल का बनाने या चलानेवाला । २. वह अफ़सर जिसके निरीक्षण में सरकारी सड़कें इमारतें और पुल इत्यादि बनते हैं । इंजील - संज्ञा स्त्री० ईसाइयों की धर्म- पुस्तक | इंतकाल - संज्ञा पुं० मृत्यु | इंतजाम - संज्ञा पुं० प्रबंध | इंदिरा - संज्ञा स्त्री० लक्ष्मी । इंतजार - संज्ञा पुं० प्रतीक्षा | इंदीवर - संज्ञा पुं० नील कमल । इंदु-संज्ञा पुं० १. चंद्रमा । २. कपूर । इंद्र - वि० [सं०] १. ऐश्वर्यवान् । २. श्रेष्ठ | बड़ा । संज्ञा पुं० १. एक वैदिक देवता । २. देवताओं का राजा । इंद्रकील - संज्ञा पुं० मंदराचल ।
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