पृष्ठ:बाहर भीतर.djvu/२५३

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२५८ विधवाश्रम । मैजिस्ट्रेट--डाक्टर को मालूम है ? चम्पा-हुजूर, उसीके हुक्म से वे छीने गए है। मैजिस्ट्रेट-अच्छा हटाओ, तीसरी को बुलाओ। तीसरी ने आकर बयान दिया: "मेरा नाम गोमती है । आयु पच्चीस वर्ष, जात वैश्य, रहनेवाली जिला अली गढ की हूं। मेरे पति है, ससुर है और परिवार के लोग है । मैं राजघाट स्नान करने आई थी, वहा साथवालियो से भटक गई । यह गजपति मुझे माता-माता कहकरें साथ ले आया। कहा-हम स्वयसेवक है । चलो घर पहुचा दे। -इसके साथ दो औरतें और थी। कहा- इन्हे पहुचाकर तब तुम्हे पहुचाएगे। -मै क्या करती. चुप हो रही । यह मझे दिल्ली ले आया। यहा रख दिया। यहां का हाल देख-देख- कर मै रोती और तकदीर ठोकती थी। पर डाक्टर ने कहा-देखो, हमने तुम्हारे पति को तार दिया कि इसे ले जाओ, तो जवाब आया है कि वह अब हमारे । की नही । कहो, अब क्या कहती हो?-मै खूब रोई और मरने को तैयार होग तब इन्होने धीरज दिया और एक महीने बाद मुझे मजबूर करके ब्याह कर दिया मैने समझा, जो तकदीर मे होना था, वही हुआ। मै चली गई। पीछे यहा एक आदमी दौडा गया और बुलाकर फिर ले आया। यहां आने पर पता लगा कि मेरे पति को पता लग गया था और वे पुलिस लेकर यहा आए थे, पर लौट गए। ये मुझसे एक लिखे हुए कागज़ पर दस्तखत कराना चाहते है, पर मै नहीं करतील, मैं वहा भी नहीं जाना चाहती, जहा इन्होने मेरा ब्याह किया था। मै अपने.. जान्न चाहती हूं। इसलिए इन्होने मुझे बन्द कर रखा है। मुझे बन्द किए दस हो गए। मैं खिड़की से नित्य राह चलतो को इशारे करती थी कि कोई छ आखिर पुलिस ने आकर हमे छुड़ाया।" मैजिस्ट्रेट ने पूछा-तुम्हारे साथ भी कुछ गहना आदि था ? गोमती-जी हुजूर, मेरे पास दो हजार के लगभग गहना था, वह सब इस जमा करने के बहाने ले लिया। "अच्छी बात है।" मैजिस्ट्रेट ने उसे बैठाकर कहा-अब गवाहो को बुलाया पुलिस-इन्स्पेक्टर ने गवाही दी: "मैं अमुक थाने मे इन्स्पेक्टर हूं। अमुक नम्बर के काम्टेबिल के कहने रे आश्रम के मकान पर धावा मारा । ये लड़किया ताले मे बन्द मिली। तलाई P .