हरिलाल भाई पीछे हरिलाल भाई बापू के सबसे बड़े बेटे थे। उन्नीस वप की आयु मे जब बापू बैरिस्टर बनने विलायत गए थे, तो हरिलाल को 'बा' की गोद में छोड़ गए थे। बडे होने पर हरिलाल भाई ने बापू से अच्छा खासा विद्रोह ठाना । इसका कारण हरिलाल भाई यह बताते थे कि उहोने जान-बूझकर उन्ह और उनके भाइयो को शिक्षा के अवसरो से वचित रखा। बापू ने अपने जीवन मे जो क्रातिकारी उलट-पलट किए वे भी हरिलाल भाई को अच्छे नहीं लो। अफ्रीका के सत्याग्रह की लड़ाई मे हरिलाल भाई ने अच्छा हिस्सा लिया था और तीन बार जेल भी गए थे, परतु उन्होने बापू का परित्याग कर दिया और भारत चले आए। यहा पढाई आरम्भ की। परतु पढाई पूरी न हो सकी, मैट्रिक् मे फेल होपर उहोंने पढना वद कर दिया और नातेदारो की सलाह से विवाह कर लिया। कुछ दिन बाद उनकी पली की मृत्यु हो गई, इसके बाद वे गैर रास्ते चल पडे, शराब पीने लगे। बापू और 'बा' ने उन्हे ठीक रास्ते पर लाने की बहुत चेष्टा की, परपरिणाम कुछ न हुआ। वे मुसलमान हो गए, फिर लौटकर आय समाजी बने। उनके बाल बच्चो को 'या' ने अपने पास रख लिया। यद्यपि हरिलाल भाई 'या' और बापू को छोडकर चले गए थे, परतु के लिए उनके मन मे बहुत मान और प्रेम रहा । वे बहुधा कहा परते वि राजरानी बनने के लिए जमी हुई 'बा' से बापू नाहक इतनी तकलीफ उठवाते हैं । 'बा' से मिलने वेषभी-कभी आश्रम मे 'बा'
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