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पृष्ठ:बा और बापू.djvu/५१

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जीवन खुली पुस्तक बापू का जीवन एक खुली पुस्तक था। उसमे छिपाने योग्य कोई बात ही न थी, एकान्त का उनके जीवन में कोई अर्थ हो न था। वह कोई भी बात, चाहे कितनी गुप्त क्यो न हो, बता देते थे। जब बात करते, खुले दिल से। बापू ने कभी किसीका अविश्वास नहीं किया। बहुतो ने उहे बहुत बार धोखा दिया, फिर भी उन्होने अपने विश्वास को नही हटाया। उनका यह निश्चय था कि हर व्यक्ति मे गुण-दोप दोनों मौजूद है, सुधरने का अवसर हर एक को देना चाहिए । वह आज नहीं तो कल अपनी भूल स्वीकार कर ही लेगा । वे दण्ड देने के पक्ष में नहीं थे। उनका कथन था कि सच्चा दण्ड पश्चात्ताप है।